घटना बांधवगढ़ नेशनल पार्क के खेतौली और पतौर रेंज से लगे सलखनिया बीट के चरकवाह की बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि, घटना स्थल के आस-पास गांव की सीमा लगी हुई है, जहां किसानों के खेत हैं। फसल को कीटों से बचाने के लिए किसान कीटनाशक दवा का छिड़काव करते हैं। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि कीटनाशक युक्त फसल खाने से हाथियों की मौत हुई है। पार्क प्रबंधन ने सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जांच शुरू कर दी है। चरकवाह में 4 जंगली हाथी मृत अवस्था में मिले हैं, वहीं 7 की हालत गंभीर थी। हालांकि, इन्हीं में से अबतक 3 हाथियों की मौत की और जानकारी सामने आई है। घटना के बाद पार्क प्रबंधन ने झुंड में शामिल 5 अन्य हाथियों की निगरानी बढ़ा दी है।
छत्तीसगढ़ के हाथियों ने यहां बनाया स्थायी रहवास
लगभग 5 साल पहले छत्तीसगढ़ की सीमा से जंगली हाथियों का झुंड बांधवगढ़ पहुंचा था। हाथियों के इस झुंड ने अब बांधवगढ़ को अपना स्थायी रहवास बना लिया है। इनकी संख्या अब बढकऱ 60 से अधिक हो चुकी है। ये जंगली हाथी अलग-अलग झुंड बनाकर पार्क के बफर और कोर एरिया में विचरण करते हैं। इन्ही में से एक झुंड का मूवमेंट सलखनिया बीट में बना हुआ था। यह भी पढ़ें- जीतू पटवारी ने थामा कांग्रेस कार्यकारिणी पर उठा बवाल, नई लिस्ट में 84 सचिव और 36 संयुक्त सचिव बनाए गए
एक हाथी स्वस्थ, रेंजर को भी खदेड़ा
बताया जा रहा है कि, 13 लोगों में एक हाथी स्वस्थ है। वन विभाग की टीम नजदीक पहुंची तो हाथी ने पनपथा रेंजर को भी खदेड़ दिया। इस दौरान पनपथा रेंजर के पैर में चोट आई है। यह भी पढ़ें- जमीन की इतनी गहराई में दौड़ेगी इंदौर मेट्रो, अहमदाबाद से लिया गया कॉन्सेप्ट
क्या कहते हैं जानकार?
वन्यजीव एक्सपर्ट नितिन सांघवी का कहना है कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाथियों की मौत अत्यंत दु:खद घटना है। बताया जा रहा है कि किसानों ने माहू रोग से बचाव के लिए फसल में कीटनाशक छिड़काव किया था, उसे खाने से हाथियों की मौत हुई है। ये गलत है, माहू रोग में जो कीटनाशक डाला जाता है, बहुत ही डाइल्यूटेड रहता है। एक लीटर में एक मिली लीटर या उससे कम कीटनाशक डाला जाता, इससे मौत नहीं हो सकती। जो दवाई डाली जाती है, उसे नीट पीने से मौत होती है। ये हाथियों को जहर देने का मामला स्पष्ट प्रतीत होता है। हाथी को मध्य प्रदेश की कोई समझ नहीं है और हाथी का घनघोर विरोधी है। एक जनहित याचिका में केरल से हाथियों के मैनेजमेंट के लिए विशेषज्ञ बुलाने की मांग करने पर मध्य प्रदेश वन विभाग ने भरपूर विरोध किया और कहा कि हम एक्सपर्ट हैं। मध्य प्रदेश वन विभाग ने उच्च न्यायालय में स्वीकार किया है कि छत्तीसगढ़ से जो भी हाथी मध्य प्रदेश में आता है, उसे वे टाइगर रिजर्व में ट्रेनिंग देने के लिए पकड़ लेते हैं। हाथियों की मौत मामले में बांधवगढ़ की पूरी टीम पर कार्रवाई होनी चाहिए।