भीमगढ़ बांध से निकलने वाली बांयी तट नहर में अब तक किसी प्रकार की साफ -सफाई या मरम्मत नहीं की गई है, जबकि जगह-जगह से नहर टूट गई है। नहर के बड़े हिस्से में झाडिय़ां, घास बढ़ गई है। नहरों की बनाई गई फॉल में दरारें आ गई हैं, जो जल भराव होने पर जगह-जगह से रिसाव होगा। यदि पानी की रफ्तार तेज रही तो नहरें फूट भी सकती हैं। यदि ऐसा हुआ तो नहर का पानी सीधे किसानों के खेतों में जाकर फसल को खराब करेगा।
मनमानी पर रहे क्षेत्रीय कर्मचारी
किसानों ने बताया कि इस बार नहरों की सफाई व मरम्मत नहीं हुई है। यदि बिना काम किए पानी छोड़ा गया, तो नहर फूटना तय है। ऐसे में फसल खराब होगी। कहा कि जल संसाधन विभाग के कुछ कर्मचारियों ने नहरों की हालत को खुद भी देखा है, लेकिन वे अपनी मनमर्जी से मरम्मत का काम कराने की जुगत में लगे हैं। इस कारण जल्दी सफाई व मरम्मत नहीं हो पा रही है। विभागीय अधिकारियों से जब किसानों ने चर्चा की तो कहा गया कि 15 नवम्बर तक नहर खोलने के पहले मरम्मत और सफाई करा ली जाएगी। हालांकि नहर के बड़े हिस्से में महज एक सप्ताह में काम पूरा हो पाना संभव नजर नहीं आता।
जल उपभोक्ता संथा ने उठाई मांग
भीमगढ़ क्षेत्र के उपभोक्ता संस्था के अध्यक्ष नवल श्रीवास्तव ने कहा कि किसानों के लिए सिंचाई का पर्याप्त पानी देने को लेकर बीते दिनों सिंचाई विभाग ने सुझाव देने के लिए बैठक बुलाया था। तब हमने जल्द नहरों की मरम्मत-सफाई के लिए कहा था। अधिकारियों को यह काम जल्द कराना चाहिए। जल उपभोक्ता संथा के पास कोई फंड नहीं है। यदि फंड मिले तो जरूरी काम को समय पर कराया जा सकेगा।
भीमगढ़ बांध में पर्याप्त पानी है। किसानों की मांग आने पर नहर में पानी छोड़ा जाएगा। नहरों की मरम्मत और सफाई का काम चल रहा है, जहां भी सुधार की जरूरत है, काम कराया जा रहा है।