सिवनी

पेंच के जंगलों में एक महीने में तीसरे बाघ की मौत

– भूख और द्वंद के कारण जा रही बाघों की जान
– पेंच प्रबंधन ने कहा प्राकृतिक कारणों से होती मौतों को रोकना असंभव

सिवनीDec 17, 2024 / 06:34 pm

sunil vanderwar

मृत बाघ का परीक्षण करते वन्यप्राणी विशेषज्ञ डॉक्टर।

सिवनी. मप्र को टाइगर स्टेट का दर्जा दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाला पेंच टाइगर रिजर्व बाघों की लगातार हो रही मौतों के कारण देश भर में चर्चा में है। एक महीने के भीतर ही पेंच-कान्हा कॉरीडोर इलाके में तीन बाघों की मौत हो चुकी है। ये आंकड़ा बाघ संरक्षण की मुहिम पर सवाल भी खड़े कर रहा है। हालांकि पेंच पार्क प्रबंंधन का कहना है कि तीनों बाघों की मौत बाघों के आपसी द्वंद से आई चोट और भूख के कारण हुई हैं।

बाघ की मौत का ताजा मामला पेंच टाइगर रिजर्व के कुरई परिक्षेत्र अंतर्गत पश्चिम खामरीट बीट के कक्ष क्रमांक 630 का है। जहां सोमवार को सुबह 8:45 बजे गश्ती दल को मांस के सडऩे की गंध आई। गंध की दिशा में जाने पर जंगल के रास्ते से 20-25 मीटर दूर एक बाघ का शव मिला। शव दो-तीन दिवस पुराना प्रतीत हो रहा था। तब गश्ती दल की सूचना पर पेंच व क्षेत्र अधिकारी मौे पर पहुंचे।

मृत नर बाघ 3-4 वर्ष का है। शव के आसपास मिट्टी में खून के बहने के चिन्ह दिखाई दिए। सबसे पहले किसी भी तरह से शिकार की संभावना को ध्यान रखते हुए डॉग स्क्वॉड की मदद से क्षेत्र की पूरी तरक से जांच-पड़ताल की गई, लेकिन डॉग केवल शव एवं उसके आसपास ही घूमता रहा। घटनास्थल के आसपास जितने भी पानी के स्त्रोत वाले क्षेत्र थे सभी को देखा गया, किसी में भी जहर मिलाने के चिन्ह नहीं मिले। घटनास्थल के पास कोई विद्युत लाइन भी नहीं है। घटनास्थल अभ्यारण के सघन वन क्षेत्र के अंतर्गत है और सबसे करीब का गांव भी तीन किलोमीटर की दूरी पर है।

एनटीसीए के प्रोटोकॉल अनुसार एनटीसीए के निर्देश पर वन्यप्राणी विशेषज्ञ की उपस्थिति में पेंच के वन्यजीव चिकित्सक अखिलेश मिश्रा एवं पशु चिकित्सा विभाग के डॉ. मेश्राम ने बाघ के शव का पोस्टमार्टम किया। चिकित्सक दल को नर बाघ के पोस्टमार्टम में बाघ के गले एवं शरीर में दो-तीन अन्य जगहों पर अन्य बाघ के केनाइन (सबसे आगे के नुकीले दांत) से किए गए पंचर मार्क मिले एवं इन्हीं से हुए घावों के कारण अत्यधिक खून बहने से बाघ की मृत्यु होना प्रतीत हो रहा है। मृत बाघ के शरीर के सभी अंग जैसे नाखून, मूंछ के बाल, केनाइन दांत, शरीर के साथ सुरक्षित पाए गए हैं। पोस्टमार्टम के बाद बाघ के शव को जलाकर नष्ट करने के लिए तय भस्मीकरण समिति के सदस्योंं तथा अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मौजूदगी में शव को पूर्ण रूप से जलाकर नष्ट किया गया।

नवम्बर में हो चुकी है दो बाघ की मौत
बता दें कि इससे पूर्व 13 नवम्बर को दक्षिण सिवनी सामान्य वन मंडल के गोपालगंज सर्किल के दतनी गांव के पास एक वयस्क बाघ की मौत हुई थी। बाघ की मौत का कारण भी अन्य बाघ से हुए द्वंद के बाद आई चोट और शिकार नहीं कर पाने के कारण भूख से होना बताया गया था। इसके बाद 17 नवम्बर को मगरकठा बीट वनकक्ष क्रमांक आरएफ 188 स्थान गेडीघाट क्षेत्र में एक बाघ शावक का शव पाया गया। शावक की आयु 4 माह थी। शावक की मृत्यु का कारण भी भूख बताया गया था।

ये नहीं है लापता बाघ
कुरई क्षेत्र के बावनथड़ी गांव में 29 नवम्बर को युवक का शिकार करने वाला बाघ जंगलों में लापता हो गया है। उसको तलाशने लगातार कैमरा ट्रेप, गश्ती हो रही है। पेंच प्रबंधन का कहना है कि खामरीट बीट में मृत हुआ बाघ वह शिकारी बाघ नहीं है। क्योंकि बावनथड़ी और उक्त घटनास्थल में 60-70 किमी की दूरी है। वह बाघ उसी क्षेत्र के आसपास जंगल में ही कहीं है। उस पर भी नजर रखी जा रही है।
इनका कहना है –
बाघों का आपसी द्वंद और उसके कारण मृत्यु होना सामान्य प्राकृतिक घटना है। जो बाघ कमजोर होता है, वह मारा जाता है। जंगल में ऐसा ही होता है। हम बाघों के संरक्षण के हरसंभव प्रयास करते हैं। कोई शिकार न हो, करंट आदि से असामान्य मृत्यु न हो, इसके लिए हम खास ध्यान देते हैं। उक्त बाघ की मौत भी दूसरे बाघ से द्वंद के कारण हुई है। यहां भी शिकार जैसी कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। हालांकि बाघ के बिसरा सेंपल जांच में लिए गए हैं।
रजनीश कुमार सिंह उप संचालक, पेंच टाइगर रिजर्व

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