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सिवनी

भाजपा नेताओं से भरा शासकीय शिक्षकों का मंच, कांग्रेस से किया किनारा

– आजाद अध्यापक शिक्षक संघ ने किया जिला स्तरीय कार्यक्रम

सिवनीOct 06, 2024 / 07:55 pm

sunil vanderwar

शिक्षक संघ के कार्यक्रम में सांसद, विधायक, भाजपा नेता व अन्य।

शिक्षक संघ के कार्यक्रम में सांसद, विधायक, भाजपा नेता व अन्य।

सिवनी. आजाद अध्यापक शिक्षक संघ के बैनर तले रविवार को हुआ शिक्षक सम्मान कार्यक्रम का मंच भाजपा नेताओं से भरा रहा। पूरे कार्यक्रम के दौरान मंच पर कोई भी कांग्रेस या अन्य पार्टी के नेता नजर नहीं आए। शासकीय शिक्षकों के भाजपामय हुए कार्यक्रम की शहर व विभागीय कर्मियों में खासी चर्चा है।

विश्व शिक्षक दिवस के मौके पर आयोजित शिक्षक संगोष्ठी एवं शिक्षक सम्मान समारोह में सिवनी-बालाघाट सांसद भारती पारधी, सिवनी विधायक दिनेश राय, भाजपा जिलाध्यक्ष आलोक दुबे, भाजपा नेता आनंद शर्मा, संजय सोनी, कपिल पांडे, ओपी तिवारी सहित कई और भाजपा नेता व शिक्षक संगठन के प्रदेश अध्यक्ष व अन्य मंच पर थे। जबकि बैनर पर भी भाजपा के निर्वाचित जनप्रतिनिधि और नेताओं के साथ शिक्षक संगठन के पदाधिकारियों की ही तस्वीरें नजर आईं। वहीं कहा जा रहा है कि कम से कम कांग्रेस जिला अध्यक्ष, नगर पालिका अध्यक्ष को आमंत्रण या तस्वीर ही लगा देते तो कोई बात होती। इधर कांग्रेस नेता भी शिक्षकों के रुखे व्यवहार से नाराज दिखाई दे रहे हैं।

जिले के आठों विकासखण्ड के शिक्षक सम्मानित
अध्यापक शिक्षक संघ के बैनर तले सांसद, विधायक व शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने सिवनी जिले के आठों विकासखण्ड के शिक्षकों को सम्मानित किया। संगठन के जिला अध्यक्ष कपिल बघेल ने बताया कि प्रत्येक ब्लॉक में कोर कमेटी गठित की गई थी, जिसने स्थानीय शिक्षकों को सम्मानित किए जाने चयनित किया था। जिन्हें जिला स्तरीय कार्यक्रम में प्रमाण पत्र, स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया गया है।

नेतागिरी का चक्कर शिक्षकों को पड़ रहा भारी
संगठन के माध्यम से कर्मचारियों की समस्या को उठाना न्यायसंगत है, लेकिन जब बात स्वार्थ और खुद को दूसरों से श्रेष्ठ दिखाने की आ जाए, तो संगठन में बिखराव की स्थिति बन जाती है। चर्चा है कि विगत वर्ष शिक्षकों के ओपीएस आंदोलन के दौरान वेतन कटौती के आदेश जारी किए गए थे, जिसमें बहुत से शिक्षकों के वेतन तो काट लिए गए, लेकिन कई नेतृत्व करने वाले शिक्षकों ने अधिकारियों को मान-मनौवल करके खुद की वेतन कटौती नहीं होने दी। इससे बाकी शिक्षकोंं में नाराजगी है। दूसरा वाक्या सितम्बर में हुए कुछ तबादलों से जुड़ा है। गौरतलब है कि जिले में विधानसभा चुनाव के दौरान एक शिक्षक संगठन के पदाधिकारी मांगों को लेकर खूब उग्र दिखाई दे रहे थे। चुनाव परिणाम के बाद उन नेतानुमा शिक्षकों की लिस्ट बनाकर राजनेता भी वैसा ही व्यवहार कर रहे हैं। हाल ही में जिले के शिक्षक संगठन के कुछ पदाधिकारियों का अलग-अलग जगह तबादला हो गया है। चर्चा है कि तबादला निरस्त कराने शिक्षक सांसद, विधायक तक पहुंच रहे हैं, लेकिन हर किसी ने चुनावी माहौल में साथ नहीं देने की बात याद दिलाकर नेतागिरी से दूर रहने की समझाइश देते हुए शिक्षकों को मायूस कर लौटा दिया।

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