उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ के आईजी गुरमीत सिंह सोढ़ी संगठन को देखते ही जय हिंद कहा और अपने साथ पार्थिव शरीर के पास तक ले गए। आईजी ने अध्यक्ष को बताया कि संगठन की यह पहल शहीद परिवारों के साथ सरहद पर डटे जवानों के पक्ष में ठोस कदम है। संगठन शहीद की अंतिम यात्रा में शामिल होकर उनके खेत तक गया, जहां उन्हें दफनाया गया। राजकीय सम्मान के साथ कबीर को नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई। शहीद कबीर के पिता शिवचरण उइके का बहुत पहले देहांत हो चुका है। घर में तीन छोटी बहन व एक छोटा भाई है, जो खेती करता है। कबीर के विवाह को चार वर्ष हो चुके हैं, वो पहली बार पिता बनने जा रहे थे। अध्यक्ष चौहान ने कहा कि उनकी पत्नी पांच माह की गर्भवती है, जो पूरी तरह बेसुध है। घर में मोबाइल लेकर बैठी हैं और लगातार अपने शहीद पति को फोन कर रही है।
संगठन को देखते ही उन्होंने कहा कि दीदी आपके मोबाइल से उन्हें फोन करो मेरे मोबाइल से फोन नहीं लग रहा है। रात को ही हम दोनों की बात हुई थी तो वो बोले थे कि बस दो घंटे की ड्यूटी में जा रहा हूं। ड्यूटी से आकर वीडियो कॉल करूंगा। पत्नी को क्या पता था कि इन्हीं दो घण्टों में उसकी दुनियां उजड़ जाएगी, लेकिन ईश्वर की मर्जी के आगे सबकुछ नगण्य है। एक पत्नी ने अपना सुहाग भारत मां की गोद में न्योछावर कर दिया।
शहीद मां कह रही थी कि अब मेरा बेटा छोटे भाई के साथ खेत की रखवाली करेगा। उसे ड्यूटी पर नहीं जाने दूंगी। एक मां से उसका सपूत छिन गया। जिस मां ने अपनी कोख से इसे वीर को जन्म दिया है। उस मां की तकलीफ कोई नहीं समझ सकता है।
अध्यक्ष ने बताया कि आईजी सोढ़ी एवं डीआईजी नीतू सिंह ने कहा कि उन्हें इस तरह के संगठन की आवश्यकता है। जरूरत पडऩे पर वे संपर्क करेंगे। पूर्व सैनिक संगठन छिंदवाड़ा ने भी संगठन से मुलाकात की और कहा कि वो हर हाल में संगठन के साथ है। ऐसे परिवार जिन्होंने अपने वीर पुत्र, पति, भाई को भारत मां की गोद में सौंप दिया है। उनके लिए संगठन हमेशा साथ खड़ा है और रहेगा। संगठन शहीद के आंगन की मिट्टी को ससम्मान अपने साथ संजोकर लाया है।