पहले भी हो चुके हैं बाघ के हमले
सामान्य वनमंडल के खवासा वन परिक्षेत्र के खालीटोला गांव निवासी गोवर्धन पटले (60) को भी तीन माह पहले बाघ ने हमला कर मार दिया था। 26 जुलाई को गोवर्धन मवेशियों को चराने के लिए रिड्डी बीट के चिखलीटोला जंगल के कक्ष क्रमांक 356 गया था। यहां बाघ ने उस पर हमला कर दिया था। घटना के बाद यहां भी वन विभाग ने कैमरे और पिंजरा लगवाया था, लेकिन बाघ पकड़ में नहीं आया था। इस घटना के छह दिनों के बाद ही छोटेलाल नामक व्यक्ति पर बाघ ने हमला किया था। इससे छोटेलाल गंभीर रूप से घायल हुआ था।
खवासा वन परिक्षेत्र के आसपास बसे गांव जंगल से घिरे हुए हैं। पेंच टाइगर रिजर्व का बफर क्षेत्र भी गांवों से लगा हुआ है। ऐसे में यहां बाघ का आना-जाना रहता है। वहीं गांव के लोगों का भी लकड़ी लेने, मवेशियों को चराने आदि कार्य के लिए जंगल जाना पड़ता है। कई बार गांव के लोगों का सामना बाघ से होता है। इसी बीच बाघ के हमले होने से लोग दहशत में आ जाते हैं। हाल ही में चिखली गांव में बाघ के हमले के बाद से ग्रामीण मवेशियों को चराने जंगल जाने और खेतों में जाने से डर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बाघ के हमलों के बाद गांव वालों के रोजमर्रा के काम प्रभावित हो रहे हैं।
इनका कहना है –
वन क्षेत्र में चिखली गांव के पास बाघ को ट्रेस करने के लिए सात सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। गांव के लोगों को सतर्क करने बैठक लेकर समझाइश दी है। उन्हें अकेले जंगल की ओर नहीं जाने की समझाइश दी जा रही है।
घनश्याम चतुर्वेदी, वन परिक्षेत्र अधिकारी खवासा
वन क्षेत्र में चिखली गांव के पास बाघ को ट्रेस करने के लिए सात सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। गांव के लोगों को सतर्क करने बैठक लेकर समझाइश दी है। उन्हें अकेले जंगल की ओर नहीं जाने की समझाइश दी जा रही है।
घनश्याम चतुर्वेदी, वन परिक्षेत्र अधिकारी खवासा