रविवार को सूचना मिलते ही घटनास्थल का पेंच टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक, उप संचालक एवं वरिष्ठ वन्यप्राणी चिकित्सक के साथ श्वान दल एवं अन्य कर्मचारियों ने निरीक्षण किया। बताया जाता है कि टीम को किसी भी प्रकार के अपराध होने के कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं।
वरिष्ठ वन्यप्रणाली चिकित्सक डॉक्टर अखिलेश मिश्रा ने बताया कि प्रथम दृष्टया यह प्रतीत हो रहा है कि इस भाग शावक को मन कमजोर होने के कारण छोड़ दिया होगा। उन्होंने बताया कि बाघों एवं अन्य बड़ी बिल्लियों में यह सामान्य व्यवहार है जब वह किसी शावक को कमजोर पाते हैं तो अन्य शावक को स्वस्थ रखने के लिए एवं उनका भरण पोषण ज्यादा अच्छे से करने की दृष्टि से कमजोर शावक को अकेला छोड़ देते हैं। खाली पेट होने के सिवाय मृत शावक में कोई और चिन्ह नहीं पाए गए। अन्य सूक्ष्म परीक्षण एवं पोस्टमार्टम के लिए शावक के शव को आईस बाक्स में रखकर नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विवि, जबलपुर भेजा गया।
पांच दिन में दो बाघों की मौत ने अब बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। इस बार भी वजह भूख बताई जा रही है। जानकारों का कहना है कि भूख की वजह से कोई भी बाघ एक दिन में नहीं मरता। उनसे जिंदगी और मौत से काफी दिन संघर्ष किया होगा। पेट्रोलिंग में लगे वन विभाग के कर्मचारियों ने अगर सही से जिम्मेदारी निभाई होती तो यह नौबत नहीं आती। समय रहते बाघों के बीमार होने का पता चल जाता और इलाज होता तो संभवत: आज दोनों बाघ जिंदा होते।
मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया गया है। प्रथम दृष्टया बाघ शावक की मौत की वजह से बीमारी समझ में आ रही है। इस वजह से वह शिकार भी नहीं कर पा रहा था। हमारे पास प्रर्याप्त संसाधन है और पेट्रोलिंग भी हो रही है।
रजनीश कुमार सिंह, उप संचालक, पेंच टाइगर रिजर्व, सिवनी