सिवनी. एशिया के पहले मिट्टी के बांध का दर्जा प्राप्त भीमगढ़ बांध में तेजी से जल स्तर में गिरावट आती जा रही है। यदि यही हाल रहा तो जल्द ही शहर में जल संकट गहरा सकता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जबसे उन्होंने इस बांध को देखा है तब से पहली बार इस समय इतना कम पानी नजर आ रहा है। पेयजल के अलावा सिंचाई के लिए भी इस बांध का पानी उपयोग किया जाता रहा है। मीटर तक कम हुआ जलस्तर जिले की शान भीमगढ़ बांध में वर्तमान में जलस्तर 506.4मीटर है जो पिछले साल इसी दिन 507.4 मीटर था। लगातार कम हो रहे जल स्तर ने जिम्मेदारों के होश उड़ा दिए हैं। इस साल पड़े व्यापक सूखे का असर भीमगढ़ बांध के जल स्तर में देखने को मिल रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि भीमगढ़ बांध का जबसे निर्माण हुआ है तब से इतना कम पानी कभी नहीं देखा गया। छपारा निवासी हासिम खान ने बताया कि बांध के जलस्तर में काफी गिरावट आई है। बांध का अधिकतम स्तर 519 मीटर माना जाता है । 517 मीटर के बाद बांध के गेट खोल दिए जाते हैं। इस निशान के बाद बांध के गेट खोलने की नौबत आ जाती है। इस हिसाब से देखें तो बांध के स्तर में 13 मीटर के लगभग गिरावट आई है। जिला मुख्यालय में होती पेयजल आपूर्ति इस बांध से शहर में पीने की पानी की सप्लाई की जाती है। हाल के दिनों में अन्य क्षेत्रों में भीमगढ़ बांध का पानी दिए जाने की मांग तेजी से उठी है। विशेषकर शहर की अब तक नगरपालिका को हैंडओव्हर न हुई अवैध कालोनियों के नागरिक भीमगढ़ से पानी दिए जाने की मांग करते रहे हैं। नगरपालिका भी सारे शहर को इसी बांध से पानी देने की कवायद कर रही है। संवारी जाए जिले की जीवनरेखा जिले की जीवनरेखा कहलाने वाली वैनगंगा जिस पर यह बांध बनाया गया है, उसे संवारने की मांग कई बार कई स्तरों पर उठती रही है लेकिन अबतक इस दिशा में ठोस सकारात्मक प्रयासों का अभाव ही रहा है जिसका नतीजा यह है कि मानसून के खत्म होते होते यह नदी सूख जाती है। लखनवाड़ा और वैनगंगा के उद्गम स्थल मुंडारा में मकरसंक्राति के पहले ही सूख जाते हैं। भक्तों ेके स्नान के लिए स्थानीय बोरों से पानी लाकर छोड़ा जाता है। छपारा के हासिम, साजिद खान और मंजू पटेल जिन्होंने पहले भी प्रशासन को वैनगंगा को बचाने के लिए ज्ञापन सौंपा हैं उनका कहना है कि गर्मि$यों के मौसम में जब नदी अधिकतर जगहों पर सूख चुकी है उसके तल में जमा सिल्ट को साफ किया जा सकता है। इसके अलावा नदी के किनारों पर वृक्षारोपण जैसी दीर्घकालिक परियोजना शुरु की जाए।