राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय में कुलगुरु पद के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे। 10 नवंबर को भोपाल में साक्षात्कार की प्रक्रिया पूरी की गई। छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय में पदस्थ कुलगुरु डॉ. लीला भलावी सहित सिवनी, छिंदवाड़ा, बालाघाट, बैतूल सहित अन्य जगहों के भी कई प्रोफेसर ने साक्षात्कार दिया था। तीन नामों को फाइनल कर राज्यपाल के पास भेजा गया। इसके बाद राज्यपाल ने प्रो. इन्द्र प्रसाद त्रिपाठी के नाम पर मुहर लगाई।
राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय शुरु से ही विवादों में रहा है। पहले कुलपति के कार्यप्रणाली से स्टॉफ के साथ ही कॉलेज संचालकों ने भी कई बार नाराजगी जताई। विश्वविद्यालय में तब से अब तक 10 कुलसचिव बदल चुके हैं। डॉ. युवराज पाटिल 11वें कुलसचिव के रूप में कार्य कर रहे हैं। विश्वविद्यालय में पहले कुलसचिव के तौर पर वरदमूर्ति मिश्रा की नियुक्ति की गई थी। इसके बाद राजेश बाथम, डॉ. राजेन्द्र मिश्रा, यूएस सालसेकर, पंचम सनोडिया, डॉ. महिम चतुर्वेदी, डॉ. धनाराम उइके, मेघराज निनामा कुलसचिव रहे।
राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय के सामने सबसे बड़ी चुनौती विश्वविद्यालय के भवन के लिए शासन से बजट लाना है। इसके अलावा विश्वविद्यालय में कर्मचारियों की काफी कमी है। आउटसोर्स से विवि काम चला रहा है। अब तक तीनों कुलगुरु विवि के लिए बजट एवं स्टॉफ लाने में सफल नहीं हो पाए हैं। बताया जाता है कि नए कुलगुरु संघ के काफी करीबी माने जाते हैं। ऐसे में उम्मीद है कि वे विश्वविद्यालय भवन के लिए बजट ले आएंगे।
सरकार विश्वविद्यालय का नाम गोंड राजा के नाम पर रखकर आदिवासी मतदाताओं को रिझाने का काम कर चुकी है। शहडोल में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय का नाम ले चुके हैं। कहा था कि छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय को राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय का नाम देकर भाजपा सरकार ने आदिवासियों को सम्मान दिया। जबकि जमीनी हकीकत देखें तो विश्वविद्यालय महज परीक्षा के आयोजन एवं परिणाम देने तक सीमित रह गया है। अगर विवि का भवन होता तो कई गतिविधियां होती और विद्यार्थियों को फायदा पहुंचता।
्र
विश्वविद्यालय में नए कुलगुरु की नियुक्ति के बाद अब उम्मीद है कि विश्वविद्यालय के भवन के लिए बजट मिलेगा। भवन बना तो विवि में यूटीडी होगा और काफी संकाय खुलेंगे। सिवनी जिले के विद्यार्थी भी इसका लाभ ले सकेंगे। उच्च शिक्षा के नए द्वार खुलेंगे।
बताया जाता है कि विश्वविद्यालय में नियुक्त हुए नए कुलगुरु दो से तीन दिन में ज्वाइन करेंगे। वे चित्रकूट विश्वविद्यालय में जिम्मेदारी सौंपकर छिंदवाड़ा आएंगे।