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Education: विश्वविद्यालय में चौथे कुलगुरु की हुई नियुक्ति, भवन के लिए बजट लाना चुनौती

राज्यपाल ने जारी किया आदेश, इंद्र त्रिपाठी संभालेंगे कमान

सिवनीNov 22, 2024 / 02:12 pm

ashish mishra

सिवनी. राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय को आखिरकार चौथा कुलगुरु मिल गया है। राजभवन ने प्रो. इन्द्र प्रसाद त्रिपाठी के नाम पर मुहर लगा दी। वे महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, चित्रकूट, सतना में विज्ञान एवं पर्यावरण संकाय के प्रोफेसर एवं अधिष्ठाता हैं। बुधवार को इस संबंध में राजभवन से आदेश जारी हो गया। कुलाधिपति मंगुभाई पटेल ने प्रो. इन्द्र त्रिपाठी को कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से चार वर्ष की कालावधि अथवा 70 वर्ष की आयु पूर्ण होने तक विश्वविद्यालय का कुलगुरु नियुक्त किया है। उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय की स्थापना अगस्त 2019 में की गई थी। पहले कुलपति प्रो. एमके श्रीवास्तव बनाए गए थे। हालांकि शासन ने 15 मार्च 2023 को जबलपुर कमिश्नर की जांच रिपोर्ट के बाद विश्वविद्यालय में धारा-52 लागू करते हुए प्रो. श्रीवास्तव को हटा दिया था। उन पर आरोप था कि पद पर रहते हुए विश्वविद्यालय के अधिनियमों का उल्लंघन कर रहे थे। जिससे कुप्रबंधन की स्थिति निर्मित हो रही थी। राज्यपाल ने रानी दुर्गावती विवि जबलपुर के कुलपति प्रो. कपिलदेव मिश्र को अतिरिक्त जिम्मेदारी देते हुए राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय की कुलपति का भी जिम्मा सौंपा। प्रो. मिश्र ने 16 मार्च 2023 को राजा शंकर शाह विवि का कार्यभार संभाल लिया था। इसके बाद उन्होंने विवि के कामकाज को समझा और स्टाफ से सामजस्य बनाकर कार्य आगे बढ़ाया। उनके देखरेख में कामकाज पटरी पर आ रहा था कि चार माह बाद उन्हें अतिरिक्त जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया। जुलाई 2023 में राजभवन ने विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा विभाग, जबलपुर संभाग की अतिरिक्त संचालक डॉ. लीला भलावी को आगामी आदेश तक कुलगुरु नियुक्त कर दिया। हालांकि जुलाई 2024 में शासन ने विवि से धारा-52 हटा लिया और नए कुलगुरु की नियुक्ति के लिए आवेदन आमंत्रित किया था। तब तक कुलगुरु डॉ. लीला भलावी को ही विवि में कुलगुरु बने रहने को कहा गया।
10 नवंबर को हुआ था साक्षात्कार
राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय में कुलगुरु पद के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे। 10 नवंबर को भोपाल में साक्षात्कार की प्रक्रिया पूरी की गई। छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय में पदस्थ कुलगुरु डॉ. लीला भलावी सहित सिवनी, छिंदवाड़ा, बालाघाट, बैतूल सहित अन्य जगहों के भी कई प्रोफेसर ने साक्षात्कार दिया था। तीन नामों को फाइनल कर राज्यपाल के पास भेजा गया। इसके बाद राज्यपाल ने प्रो. इन्द्र प्रसाद त्रिपाठी के नाम पर मुहर लगाई।
अब तक 10 कुलसचिव भी बदले
राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय शुरु से ही विवादों में रहा है। पहले कुलपति के कार्यप्रणाली से स्टॉफ के साथ ही कॉलेज संचालकों ने भी कई बार नाराजगी जताई। विश्वविद्यालय में तब से अब तक 10 कुलसचिव बदल चुके हैं। डॉ. युवराज पाटिल 11वें कुलसचिव के रूप में कार्य कर रहे हैं। विश्वविद्यालय में पहले कुलसचिव के तौर पर वरदमूर्ति मिश्रा की नियुक्ति की गई थी। इसके बाद राजेश बाथम, डॉ. राजेन्द्र मिश्रा, यूएस सालसेकर, पंचम सनोडिया, डॉ. महिम चतुर्वेदी, डॉ. धनाराम उइके, मेघराज निनामा कुलसचिव रहे।
कुलगुरु के सामने कई चुनौती
राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय के सामने सबसे बड़ी चुनौती विश्वविद्यालय के भवन के लिए शासन से बजट लाना है। इसके अलावा विश्वविद्यालय में कर्मचारियों की काफी कमी है। आउटसोर्स से विवि काम चला रहा है। अब तक तीनों कुलगुरु विवि के लिए बजट एवं स्टॉफ लाने में सफल नहीं हो पाए हैं। बताया जाता है कि नए कुलगुरु संघ के काफी करीबी माने जाते हैं। ऐसे में उम्मीद है कि वे विश्वविद्यालय भवन के लिए बजट ले आएंगे।
प्रधानमंत्री भी ले चुके हैं विवि का नाम
सरकार विश्वविद्यालय का नाम गोंड राजा के नाम पर रखकर आदिवासी मतदाताओं को रिझाने का काम कर चुकी है। शहडोल में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय का नाम ले चुके हैं। कहा था कि छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय को राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय का नाम देकर भाजपा सरकार ने आदिवासियों को सम्मान दिया। जबकि जमीनी हकीकत देखें तो विश्वविद्यालय महज परीक्षा के आयोजन एवं परिणाम देने तक सीमित रह गया है। अगर विवि का भवन होता तो कई गतिविधियां होती और विद्यार्थियों को फायदा पहुंचता।
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सिवनी के विद्यार्थियों को होगा फायदा
विश्वविद्यालय में नए कुलगुरु की नियुक्ति के बाद अब उम्मीद है कि विश्वविद्यालय के भवन के लिए बजट मिलेगा। भवन बना तो विवि में यूटीडी होगा और काफी संकाय खुलेंगे। सिवनी जिले के विद्यार्थी भी इसका लाभ ले सकेंगे। उच्च शिक्षा के नए द्वार खुलेंगे।
दो से तीन दिन में करेंगे ज्वाइन
बताया जाता है कि विश्वविद्यालय में नियुक्त हुए नए कुलगुरु दो से तीन दिन में ज्वाइन करेंगे। वे चित्रकूट विश्वविद्यालय में जिम्मेदारी सौंपकर छिंदवाड़ा आएंगे।

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