चार थानों की पुलिस रही तैनात
किसान महापंचायत को लेकर जिले के डूंडासिवनी, लखनवाड़ा, कुरई व बंडोल थाने की पुलिस तैनात रही। मुख्य गेट से लेकर सभा स्थल और बाहर यातायात व्यवस्था को व्यस्थित करते पुलिस नजर आई।
16 लाख करोड़ के कृषि व्यापार पर है अडानी और अंबानी की नजर
सरकार के तीनों काला कानून व्यापारियों के पक्ष में, पीएम को लिखा पत्र आज तक नहीं आया जवाब
सिवनी. दुनिया का सबसे बड़ा कारोबार भारत के १६ लाख करोड़ रुपए के कृषि व्यापार पर अडानी और अंबानी की नजर है। इसकी शुरुआत २३ फरवरी २०१५ को प्रधानमंत्री ने डब्लयूटीओ के किसानों से उनकी उपज समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं किए जाने की बात को समर्थन देने के साथ धीरे-धीरे बंद किए जाने के संबंध में हस्ताक्षर कर दी गई सहमति के साथ किया। लेकिन हमलोग इसे उस समय नहीं समझ पाए। यह बात संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वावधान में दिल्ली सहित देशभर में चल रहे किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाली सात सदस्यीय कमेटी के सदस्य शिवकुमार उर्फ कक्का जी ने कही। वे बुधवार को लुघरवाड़ा स्थित एक लॉन में आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि काला कानून किसानों के खिलाफ और व्यापारियों के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा कि काला कानून लाए जाने के बाद गहनता से अध्ययन किया गया। इसके बाद प्रधानमंत्री को पत्र लिखा गया, लेकिन अब तक वहां से कोई जवाब नहीं आया। इसके पूर्व उनको जब भी पत्र लिखा, वहां से जवाब आता रहा है। कहा कि केन्द्र सरकार ने इस कानून को अडानी और अंबानी के हिसाब से बनाया है। देश में प्रायवेट मंडी होनी चाहिए। व्यापारी लायसेंस नहीं लेगा। प्रायवेट मंडी के लिए सरकार जमीन देगी। व्यापारी टैक्स नहीं देगा। व्यापारी जितना चाहे उपज भण्डारण कर सकेगा। व्यापारी यदि किसान को पैसा दिए बिना भाग गया तो किसान जिला न्यायालय में नहीं जाएगा। वह इसकी शिकायत पहले एसडीएम और इसके बाद कलेक्टर से करेगा। भूमि की सुरक्षा की गारंटी नहीं रहेगी। इस कानून को लेकर सरकार वार्ता के दौरान संशोधन की बात करती है, लेकिन यह कानून संशोधन के लायक नहीं रद्द करने लायक है। इसके अलावा एमएसपी पर गारंटी कानून बनाया जाना भी आवश्यक है। कहा कि हर वार्ता में मैंने इसे प्रमुखता से उठाया है।
सरकार के तीनों काला कानून व्यापारियों के पक्ष में, पीएम को लिखा पत्र आज तक नहीं आया जवाब
सिवनी. दुनिया का सबसे बड़ा कारोबार भारत के १६ लाख करोड़ रुपए के कृषि व्यापार पर अडानी और अंबानी की नजर है। इसकी शुरुआत २३ फरवरी २०१५ को प्रधानमंत्री ने डब्लयूटीओ के किसानों से उनकी उपज समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं किए जाने की बात को समर्थन देने के साथ धीरे-धीरे बंद किए जाने के संबंध में हस्ताक्षर कर दी गई सहमति के साथ किया। लेकिन हमलोग इसे उस समय नहीं समझ पाए। यह बात संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वावधान में दिल्ली सहित देशभर में चल रहे किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाली सात सदस्यीय कमेटी के सदस्य शिवकुमार उर्फ कक्का जी ने कही। वे बुधवार को लुघरवाड़ा स्थित एक लॉन में आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि काला कानून किसानों के खिलाफ और व्यापारियों के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा कि काला कानून लाए जाने के बाद गहनता से अध्ययन किया गया। इसके बाद प्रधानमंत्री को पत्र लिखा गया, लेकिन अब तक वहां से कोई जवाब नहीं आया। इसके पूर्व उनको जब भी पत्र लिखा, वहां से जवाब आता रहा है। कहा कि केन्द्र सरकार ने इस कानून को अडानी और अंबानी के हिसाब से बनाया है। देश में प्रायवेट मंडी होनी चाहिए। व्यापारी लायसेंस नहीं लेगा। प्रायवेट मंडी के लिए सरकार जमीन देगी। व्यापारी टैक्स नहीं देगा। व्यापारी जितना चाहे उपज भण्डारण कर सकेगा। व्यापारी यदि किसान को पैसा दिए बिना भाग गया तो किसान जिला न्यायालय में नहीं जाएगा। वह इसकी शिकायत पहले एसडीएम और इसके बाद कलेक्टर से करेगा। भूमि की सुरक्षा की गारंटी नहीं रहेगी। इस कानून को लेकर सरकार वार्ता के दौरान संशोधन की बात करती है, लेकिन यह कानून संशोधन के लायक नहीं रद्द करने लायक है। इसके अलावा एमएसपी पर गारंटी कानून बनाया जाना भी आवश्यक है। कहा कि हर वार्ता में मैंने इसे प्रमुखता से उठाया है।