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पानी का दबाव बढ़ते ही टूटी मुख्य नहर, खेतों में भरा पानी

– भीमगढ़ दांयी तट नहर जामुनटोला के पास क्षतिग्रस्त, मरम्मत जारी

सिवनीNov 18, 2024 / 07:03 pm

sunil vanderwar

मुख्य नहर का टूटा हिस्सा, खेतों की ओर बहता पानी।

सिवनी/कान्हीवाड़ा. जिले में अफसरशाही इस कदर हावी है कि कलेक्टर के आदेश को भी ताक पर रखकर अधिकारी मनमाना काम कर रहे हैं। इसका नुकसान जिले में आमजनों, किसानों को उठाना पड़ रहा है। ताजा मामला सिंचाई विभाग से जुड़ा है। कलेक्टर संस्कृति जैन ने बैठकों और निरीक्षण के दौरान कई बार अधिकारियों को नहरों का निरीक्षण करने, नहरों पर उगी झाड़ी-कचरे की सफाई, जरूरी मरम्मत और अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे। लेकिन अधिकारियों ने महज खानापूर्ति किया। नतीजा ये हुआ कि बांध से पानी छोडऩे पर मुख्य नहर का एक हिस्सा बह गया। जिससे किसानों के खेतों में पानी भरने से नुकसानी उठानी पड़ रही है।
संजय सरोवर भीमगढ़ बांध के दांयी तट नहर की मुख्य नहर (कैनाल) को किसानों की मांग पर 15 नवम्बर को खोलकर 200 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। यह नहर कान्हीवाड़ा क्षेत्र के जामुनटोला के पास 16 नवम्बर की रात पानी का दबाव बढऩे पर टूट गई। जिससे काफी पानी आसपास के खेतों में भर गया है। इससे किसानों में नाराजगी है।
रबी फसलों की बुआई का कार्य प्रारंभ हो रहा है। किसानों को सिंचाई के लिए पानी की आवश्यकता है। ऐसे में जिले से सबसे बड़े कृषि क्षेत्र को सिंचित करने वाले भीमगढ बांध की नहर से पानी छोड़ा गया था। लेकिन नहर की सही मरम्मत और सफाई नहीं होने के कारण एक ओर से नहर की मेढ़ कमजोर होने से मिट्टी बही और किनारे के काफी दूर तक के खेत पानी में डूब गए।

पहले भी टूटती रही है नहरें
क्षेत्रीय किसानों ने नहर फूटने पर सिंचाई विभाग के अफसरों पर आरोप लगाए हैं। कहा कि नहरों में पानी छोडऩे से पहले व्यापक पैमाने पर साफ.-सफाई और मरम्मत का कार्य किया जाता है। लेकिन इस क्षेत्र में कच्ची नहरों की मेढ़ को न तो मजबूत किया गया और न ही उचित सफाई हुई। यही स्थिति पूर्व के वर्षों में भी बनती रही है। इस बार भी काम में भारी लापरवाही और चूक की गई है, इसका नतीजा है कि यह नहर फूटी है।

नहरों का नहीं हो पाया सीमेंटीकरण
इस वर्ष अच्छी बारिश होने से वैनगंगा नदी पर बना भीमगढ़ बांध अधिकतम जल संग्रहण क्षमता 519.30 मीटर तक भरा है। ऐसे में किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलने की उम्मीद की जा रही है, लेकिन जिस तरह से नहरों की बदहाली नजर आ रही है। उससे पानी की बर्बादी और किसानों की नुकसानी का अंदेशा भी बना हुआ है। किसानों ने बताया कि बड़ी नहरों के किनारे हर साल सीपेज होने, टूट-फूट के कारण काफी पानी बर्बाद होता है। मुख्य व सहायक नहरों के काफी हिस्से में अब भी सीमेंटीकरण नहीं हुआ है। वर्षों पुरानी-कच्ची नहरों को दुरुस्त किया जाना चाहिए। अभी शुरुआती समय पर सिंचाई की मांग कम है, इसलिए तत्परता से निरीक्षण करते हुए मुख्य व सहायक नहरों में जरूरी मरम्मत कार्य कराए जाएं।

बांध के गेट बंद, मरम्मत जारी
नहर टूटने की खबर पाकर भीमगढ़ बांध की आरबीसी नहर को शनिवार की रात बंद कराया गया। लेकिन नहर में छोड़े गए पानी का बहाव रविवार को भी क्षतिग्रस्त नहर के हिस्से तक बना रहा। दोपहर बाद जब जल स्तर कम हुआ, तब नहर में सिंचाई विभाग के अमले ने मरम्मत की शुरुआत की है। हालांकि देर शाम तक मरम्मत पूरी नहीं हो पाई। पुन: नहर से पानी छोडऩे का समय फिलहाल तय नहीं है।
इनका कहना है –
भीमगढ़ क्षेत्र की नहर टूटने की खबर मिलने पर देर रात को बांध के गेट बंद किए गए हैं। नहर टूटने के कई कारण हो सकते हैं। फिलहाल मरम्मत की जा रही है। जब निर्देश मिलेंगे, तब बांध से पानी छोड़ा जा सकेगा।
उदयभान मर्सकोले, एसडीओ, भीमगढ़ बांध

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