राधेश्याम मर्दा सालासर बालाजी से तिरुपति बालाजी तक की यात्रा पर निकले हैं। इन दोनों जगहों की 2100 किमी की दूरी वे पैदल ही तय कर रहे हैं। यह पैदल यात्रा करीब 101 दिनों में पूरी करने का लक्ष्य है। उनकी यात्रा सेंधवा आई तो माहेश्वरी समाज सदस्यों ने उनका स्वागत किया। सेंधवा माहेश्वरी समाज के निंबार्क माहेश्वरी, आनंद माहेश्वरी, नवल भूतड़ा, डॉ. पीयूष झंवर आदि उपस्थित रहे। सेंधवा में रात्रि विश्राम के बाद मंगलवार को वे बलवाड़ी के लिए रवाना हो रहे हैं।
राधेश्याम मर्दा 1995 से लगातार हर साल जयपुर से सालासर तक पैदल जा रहे हैं। इस तरह वे हर साल 160 किमी की पैदल यात्रा करते हैं। मर्दा ने बताया कि वर्तमान में युवा चकाचौंध की जिंदगी जी रहे है, लेकिन उनके मन में हमेशा भय बना रहता है। वे डरते हैं।
जो युवा चुनौती का सामना कर लेता है उसके मन से सभी तरह के भय निकल जाते हैं और सफलता मिलती है- मैं उन युवाओं को संदेश देना चाहता हूं कि जीवन में चुनौतियों का सामना करना जरूरी है। जो युवा चुनौती का सामना कर लेता है उसके मन से सभी तरह के भय निकल जाते हैं और सफलता मिलती है। युवाओं को निडर और साहसी बने रहना चाहिए।