2018 में कांग्रेस 93 तो भाजपा 51 गावों में थी आगे: पत्रिका पड़ताल में इस बात का खुलासा हुआ है कि 2018 में कांग्रेस के ग्यारसीलाल रावत विजयी हुए थे। परिणाम के बाद जो आंकड़े घोषित हुए थे। उसमें पड़ताल करने पर पता चला कि कांग्रेस को 93 गावों में कांग्रेस को भरपूर वोट मिले थे। वहीं भाजपा को सिर्फ 51 गांव में कांग्रेस से अधिक वोट मिले थे। इस बार चुनाव में यदि कांग्रेस अपने यही 93 गांव के वोट बचा पाती है, तो ठीक अन्यथा भाजपा को बढ़त मिल सकती है।
सेंधवा विधानसभा में पहाड़ पट्टी और वन ग्रामों में हुई वोटिंग हमेशा से निर्णायक साबित हुई है। 2018 में हुए चुनाव में नांदिया, भंवरगढ़, झिरपन, डोंगलियापानी, टपकला, कीड़ीअंबा, आसरियापानी, टाक्यपानी, कालीकुंडी, मातियामेल, अजगरिया, अडऩदी, झांगटा, बगदारी, जूनापानी और सोनखेड़ी ये वो गांव है। जहां से भाजपा विजयी रथ पर सवार हुई थी, लेकिन कांग्रेस का दावा है कि उसने इस बार पहाड़ पट्टी सहित वन ग्रामों में बड़ी सेंध लगा दी है। पहाड़ी क्षेत्र के वोट भाजपा कांग्रेस के लिए जीत की वजह बन सकते है।
सेंधवा शहर सहित बड़े कस्बों में कड़ी टक्कर
इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस द्वारा बड़े कस्बे है। इनमें बड़ी संख्या में गैर आदिवासी रहते है। वहां वोटों की स्थिति भी निर्णायक हो सकती है। पिछली बार सेंधवा शहर में भाजपा को 4401 वोट और धनोरा में 361 वोटों की लीड थी। जबकि झोपाली में 2735 वोट, चाचरिया में 711 वोट, बलवाड़ी में 516 वोट, धवली में 252 वोट, वरला में 101 वोट की लिड कांग्रेस को मिली थी। इस बार सेंधवा शहर सहित कुल 6 कस्बों की वोटिंग भी निर्णायक साबित हो सकती है।
9 में कांग्रेस तो 5 गांवों में भाजपा को मिली थी हार
पिछले चुनाव में बडग़ांव, पीपरखेड़ा, नांडिया, इनाइकी, भालाबेड़ी, महानीम, अडऩदी, बागदारी, जुनापानी में कांग्रेस तो अंजनगंव, बीजापुरी, कामोदवाड़, होल, घेगांव में भाजपा दहाई का आंकड़ा भी पार नहीं कर सकी थी। इसलिए ये गांव इस बार भी मतदान को लेकर काफी चर्चा में है।