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इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन योजना को लेकर आई यह खबर

indore manmad railway line: दो हजार करोड़ से बढ़कर 12 हजार करोड़ हुई लागत…। संघर्ष समिति ने प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी

सेंधवाNov 21, 2024 / 03:58 pm

Manish Gite

indore manmad railway line: इंदौर मनमाड़ रेल लाइन को लेकर संघर्ष समिति ने प्रधानमंत्री को सीधे चिट्ठी लिखी है। समय बीत जाने से लागत कई गुना बढ़ गई है। बावजूद इसके इस महत्वकांक्षी रेल योजना पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। महाराष्ट्र मध्य प्रदेश में बहुचर्चित मार्ग 380 किमी की जो 2016 से प्रस्तावित हुई थी। जिसकी लागत 2 हजार करोड़ थी जो अब बढ़कर 12 हजार करोड़ पहुंच गई है। इसके बावजूद ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जबकि 2016 में अंतिम सर्वे रिपोर्ट तैयार हो चुका है।

पूरे देश में दूरी और रेल यातायात का समय कम करने वाली एकमात्र परियोजना है। जिसमें प्रतिदिन 3 करोड़ का फायदा होने का दावा किया जा रहा है वह ठंडे बस्ते में चल रही है। देश में कई रेल मार्गों की दूरी घटने से उसकी लागत मात्र 2 से 3 वर्षों में वसुल की जाएगी। फिर भी इस पर उसे ध्यान नहीं दिया जा रहा है। 

 

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मनमाड़ इंदौर रेल संघर्ष समिति प्रमुख हाईकोर्ट याचिकाकर्ता मनोज मराठे द्वारा हाल ही में इस परियोजना में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सभी दस्तावेज में प्रमाण के भेजे है कि इस रेल मार्ग किस तरह से फायदे होगा। इस परियोजना में अभी तक क्या हो चुका है और आगे क्या होना चाहिए। उन्होंने पत्र में जानकारी दी कि इस रेलमार्ग की सभी प्रकार की जो भी मंजूरियां है, वह पूर्ण हो चुके है।

वित्तीय मंजूरी मिलने पर शुरू होगा रेल मार्ग का काम

रेलवे अधिकारियों से चर्चा में जानकारी मिली कि यदि आर्थीक मंजूरी मिलती है, तो इसका निर्माण कार्य प्रारंभ कर देंगे। संघर्ष समिति के मराठे ने बताया कि सांसद गजेंद्र पटेल को राज्यसभा सांसद सुमेरसिंह सोलंकी द्वारा इस परियोजना को लेकर किए जा रहे प्रयास बेहतर है। रेल मार्ग 15 से 20 प्रतिशत फायदे का है। दक्षिण भारत से महाराष्ट्र और उत्तर भारत को जोड़ने वाली ये परियोजना सैकड़ों किमी की यात्रा को कम करेगी।

मनोज मराठे द्वारा रेल एंड पोर्ट कॉर्पोरेशन जहाज रानी मंत्रालय को नोटिस जारी कर पूछा जाएगा कि किस वजह से इस परियोजना का आपके द्वारा मप्र-महाराष्ट्र व रेल मंत्रालय के बीच एमओयू होने के बावजूद शुरू क्यों नहीं किया जा रहा है। अब लागत बढ़ने से अधिक वित्तीय प्रबंधन करना होंगे।

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