सीहोर

यहां सोयाबीन देख रह जाएंगे दंग, पांच फीट के पौधे में आई 200 तक फली

जिलेभर से पहुंच रहे हैं किसान की सोयाबीन फसल को देखने लोग

सीहोरSep 15, 2021 / 11:31 am

Anil kumar

सोयाबीन

अनिल कुमार, सीहोर. कीट प्रकोप या अन्य वजह से खराब हुई सोयाबीन फसल को देख इस समय भले ही किसानों के चेहरे की रंगत उड़ी हो, लेकिन इसी सोयाबीन को देख जिले के एक किसान की खुशी के ठिकाने नहीं है। किसान के खेत में आरएके कॉलेज में तैयार हुई नई आरवीएस76 वैरायटी की बोए सोयाबीन में इतनी फलिया लगी कि कल्पना करना मुश्किल है। अधिकतम पांच फीट की ऊंचाई वाले सोयाबीन में साढ़े तीन फीट का पौधा और शेष डेढ़ फीट की बेल है। पौधे, बेल दोनों में ही फली लगने से बंपर पैदावार का अनुमान है।

सीहोर इंदौर नाका निवासी किसान बहादुरसिंह दांगी ने बताया कि आरएके कॉलेज में आरवीएस (राज विजय सोयाबीन)76 वैरायटी तैयार हुई है। पिछले साल इस वैरायटी का कॉलेज से थोड़ा सा बीज लाकर ट्रायल के तौर पर खेत में बोया था जिसका उत्पादन अच्छा रहा। किसान ने इस साल 6 एकड़ जमीन में आरवीएस76 वैरायटी के सोयाबीन की बोवनी की है। यह फसल इस समय खेत में लहलहा रही है। एक पौधे में नीचे से लेकर ऊपर तक 200 तक फली लगी है। जिसे देखने सीहोर ही नहीं अन्य जगह से किसान और कृषि वैज्ञानिक पहुंच रहे हैं।
क्या है वैरायटी की खासियत
किसान दांगी के अनुसार अन्य वैरायटी के सोयाबीन का पौधा तीन फीट के आसपास रहता है। आरवीएस76 के पौधे की अधिकतम ऊंचाई पांच फीट है। उनके खेत में खड़े पौधे की ऊंचाई भी चार से पांच फीट तक है। किसान के अनुसार साढ़े तीन फीट का पौधा, जबकि डेढ़ फीट की बेल रहती है। पौधे और बेल दोनों में ही फलियां लगी हंै। इस वैरायटी के सोयाबीन की एक खासियत यह भी है कि बेल जमीन पर नहीं गिरते हुए फैलकर दूसरे पौधे पर रहती है। निचले खेतों में पानी भराने पर भी यह सोयाबीन खराब नहीं होता है।
9560 क्यों हो रही खराब ये भी जाने
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार 9560 वैरायटी की रोगों से लडऩे की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है। उसी वजह से कीट (इल्ली, तना मक्खी) आदि सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचते हैं। इस साल भी करीब 50 हजार हेक्टेयर से ज्यादा में बोई गई इसी वैरायटी के सोयाबीन की फसल खराब हुई है। वैज्ञानिकों के अनुसार किसानों को 9560 वैरायटी बदलकर नई वैरायटी पर जोर देने की जरूरत है। नई वैरायटी को रोग प्रतिरोधक क्षमता के आधार पर ही तैयार किया है।
आरएके कॉलेज में इन वैरायटी पर चल रहा काम
आरएके कॉलेज के कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसआर रामगिरे ने बताया कि आरवीएस76,आरवीएस24,आरवीएस18,आरवीएस24,आरवीएस35,जेएस2098,जेएस2069 सहित 12 वैरायटी पर पिछले कई साल से काम चल रहा है। इसमें अधिकांश वैरायटी तैयार हो गई है। बताया जा रहा है कि सोयाबीन की तैयार वैरायटी कॉलेज से सरकार को भेजी जाएगी। बीज सार्टिफाइड होने के बाद सरकार अपने स्तर से बीज निगम, सहकारी समिति के अलावा अन्य जगह उपलब्ध कराएगी। वही से किसानों को इन वैरायटी का बीज उपलब्ध होगा।
एक नजर में जाने आरवीएस76 की खूबी
– एक एकड़ जमीन के लिए 20 से 22 किलो बीज रहता है पर्याप्त।
– 10 से 12 क्विंटल प्रति एकड़ का होता है उत्पादन।
– कीट प्रकोप, अतिवृष्टि से नहीं होता है ज्यादा नुकसान।
– 100 से 110 दिन में फसल पककर हो जाती है तैयार।
– बोवनी के समय 10 इंच की दूरी रखना जरूरी।
वर्जन..
आरवीएस76 वैरायटी को बनाने के लिए पिछले 14 साल से काम चल रहा था, तब कही जाकर अब यह तैयार हुई है। इसे सरकार को भेजा जाएगा। सरकार बीज निगम और अन्य समिति को उपलब्ध कराएगी वही से किसानों को बीज मिलेगा। बहादुरसिंह दांगी ने ट्रायल के लिए थोड़ा सा बीज लिया था, जिनकी फसल अच्छी है।
डॉ.एसआर रामगिरे, कृषि वैज्ञानिक आरएके कॉलेज सीहोर

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