एतिहासिक चिंतामन गणेश मंदिर पर गर्भ गृह के बाहर एक कमरा बना हुआ है। इस कमरे में लोहे के पाइप लगे हुए हैं। पाइप के बीच से होकर एक साइड से महिला और दूसरी साइड से पुरुष श्रद्धालु दर्शन करते हैं।
वीवीआइपी को छोड़कर सभी श्रद्धालु लोहे के पाइप लगे इसी कमरे से गर्भ गृह में झांक कर भगवान गणेश के दर्शन करते हैं। गर्भगृह तक सिर्फ वीआइपी श्रद्धालुओं को जाने की अनुमति मिलती है। गर्भ गृह के बाहर बने कमरे में तीन गेट हैं, एक गेट तो मुख्य द्वार से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए हैं और दोनों साइड में बने गेट का उपयोग परिक्रमा और वीआइपी के एंट्री के लिए किया जाता है।
मेला और गणेश उत्सव के दौरान मंदिर की दाहिनी तरफ का गेट एक तरह से वीआइपी के लिए आरक्षित है, लेकिन अब इसे व्यवस्था बनाने के लिए बंद कर दिया गया है। लोहे की रैलिंग लगने के कारण अब इसका उपयोग सिर्फ परिक्रमा के लिए हो सकेगा।
गणेश मंदिर पर न केवल सीहोर बल्कि भोपाल और आसपास के जिलों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। हर बुधवार को यहां पर मेला जैसा लगता है। हर महीने कोई न कोई वीआइपी आता है।
वीआइपी के लिए अघोषित रूप से आरक्षित गेट के बंद होने से गणेश मंदिर पर लाइन में लगकर दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को काफी राहत मिलेगी। इस गेट के कारण लोग सीधे गर्भ गृह के सामने पहुंच जाते थे, जिसकी वजह से लाइन में लगे श्रद्धालुओं को दर्शन करने में दिक्कत होती थी। मंदिर समिति ने श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए यह रैलिंग लगाई है।