जमोनिया तालाब से लंबे समय से शहर के मंडी क्षेत्र में ही जल सप्लाई किया जा रहा है। तालाब से मुख्य लाइन अभी शहर से कटी हुई है। इसके बाद भी इस साल जमोनिया तालाब में सात फीट चार इंच पानी बचा हुआ है। गड्ढों में भरे पानी को छोड़ दिया जाए तो मात्र चार फीट पानी ही वर्तमान में तालाब में शेष बताया जा रहा है।
तेज गर्मी के चलते यह पानी भी जल्द ही खत्म होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। तालाब में लगातार घटते जल स्तर के चलते मछलियों को भी निकाला जा रहा है। लगातार सात आठ दिन पानी सप्लाई होने के बाद तालाब भी जवाब दे देगा। इसके बाद जल संकट के हालात बन जाएंगे। काहिरी डेम में भी लगभग १५ से २० दिनों का पानी शेष है। इधर भगवानपुरा तालाब पहले ही रीता हो गया है। ऐसी स्थिति में कई जगह चार से पांच दिन पानी छोड़कर सप्लाई किया जा रहा है।
कहीं रत जगा तो कहीं खाली बर्तनों की लाइन
लंबें अंतराल से नलों में पानी आने और अधिकांश जल स्त्रोत सूखने के चलते जल संकट से लोग जूझ रहे है। कामकाज करने वाले लोग दिन भर काम करने के बाद रात को पानी की तलाश में भटकते नजर आते है। मुकीम कुरैशी ने बताया कि भोपाल से काम कर लौटने के बाद रात में पानी की तलाश में भटकना पड़ रहा है।
इधर निजी जल स्त्रोतो के सूखने के चलते जहां पानी मिल रहा है, वहां लंबी बर्तनों की लाइन नजर आ रही है। ग्रहणी बरखा मालवीय ने बताया कि घर में बोर लगा है, लेकिन पानी पाताल में पहुंच गया है। अब दूसरों के जल स्त्रोतो पर निर्भर हैं। पानी मिल जाता है, तो भर लेते है। अन्यथा परेशनियों का सामना करना पड़ रहा है।
अभी जमोनिया और काहिरी डाल में पानी है। इन्हीं से लोगों को पेयजल व्यवस्था की जा रही है। जल संकट से निपटने प्रयास जारी है। -एनसी राठौर, जल शाखा प्रभारी नपा सीहोर