सीहोर। संस्कृत सीखने से हम इसमें निहित साहित्यिक ज्ञान अर्जित कर सकते हैं। संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। इसके माध्यम से अन्य भाषाओं का ज्ञान आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। यह बात अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण केन्द्र के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ.पुष्पा दुबे ने कहीं।
उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा सीखने की तरफ भी युवाओं का ध्यान होना चाहिए। चन्द्रशेखर आजाद शासकीय स्नातकोत्तर अग्रणी कॉलेज में राष्ट्रीयसंस्कृत संस्थान नई दिल्ली द्वारा संचालित अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण केन्द्र का औपचारिक समापन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ माता सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इसके पश्चात् सभी अतिथियों का पुष्प माला एवं ‘गृहं गृहं प्रति संस्कृतमÓ पुस्तक भेंट देकर स्वागत किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कार्यक्रम अध्यक्ष कॉलेज प्राचार्य डॉ.वीके शुक्ल ने संस्कृत को वैज्ञानिक भाषा बताते हुए कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रमों से सरल माध्यम में संस्कृत सीखने को मिलती है। अत: सभी संस्कृत प्रेमियों को इसका लाभ लेना चाहिए आगे भी इस तरह के कार्यक्रम महाविद्यालय में संचालित किए जाएंगे। उन्होंने सभी उत्तीर्ण छात्र,छात्राओं को बधाई दी। इस अवसर पर विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ.राजकुमारी शर्मा ने वेदों में निहित ज्ञान प्राप्त करने के लिए इसे आवश्यक बताया। पुस्तकालय अध्यक्षअजय श्रीवास्तव ने रंगमंच के क्षेत्र में संस्कृत का महत्व बताया। इस अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण कक्षा में संस्कृत शिक्षक राकेश वर्मा द्वारा प्रशिक्षण दिया गया।
कार्यक्रम का संचालन केन्द्र के शिक्षक राकेश वर्मा ने किया व आभार संस्कृत विभाग के अध्यक्ष डॉ.एचएस मंडलोई ने माना। कार्यक्रम में कॉलेज के रजिस्ट्रार बीएल बकोरिया, आशीष माहेश्वरी, भूषण धीमान, माधवी टांक, मोहित विश्वकर्मा, शशांक गेहरवाल, श्रद्धा तिवारी, उमेश पंसारी, पवन पंसारी, निधि, प्रियंका, ज्ञानप्रकाश मिश्रा आदि का विशेष सहयोग रहा।
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