जब 3 बच्चियों को घर ले आए शिवराज सिंह चौहान, पत्नी साधना से बोले- अब हम ही इनके माता-पिता हैं, दिल को छू लेगी कहानी
narendra modi cabinet 3.0 : शिवराज सिंह चौहान ने अपने जीवन का एक किस्सा साझा करते हुए कहा था कि पिछली बार जब वो सांसद बनकर विदिशा संसदीय क्षेत्र पहुंचे थे, तब उन्हें वहां 3 अनाथ बच्चियां मिलीं, जिन्हें वो अपने साथ घर ले आए। फिर शिवराज और साधना उन बच्चियों के माता-पिता बन गए।
narendra modi cabinet 3.0 : मोदी कैबिनेट 3.0 के लिए देशभर से कोहेनूर चूने जा रहे हैं। इन्हीं में से एक नाम भाजपा में सबसे ज्यादा समय के सीएम रहने का रिकॉर्ड कायम करने वाले मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और 2024 के लोकसभा चुनाव में विदिशा सीट से 8 लाख से अधिक वोटों की प्रचंड जीत हासिल करके सांसद चुने जाने वाले शिवराज सिंह चौहान भी हैं। रविवार शाम को दिल्ली में स्थित राष्ट्रपति निवास में नरेंद्र मोदी के पीएम पद की शपथ लेने के बाद शिवराज सिंह चौहान भी उनकी कैबिनेट के मिनिस्टर के रूप में शपथ लेंगे। जिस तरह मौजूदा राजनीति में उनका कोई सानी ढंढना मुश्किल है, ठीक उसी तरह पारिवारिक जीवन में भी उनके समान रिश्तों की कद्र करने वाला शख्स मिलना मुश्किल है। आइये जानते हैं शिवराज के पारिवारिक जीवन से जुड़ी एक बेहद भावुक किस्से के बारे में…।
शिवराज सिंह ने दिल को छू लेने वाला अपने जीवन का एक किस्सा खुद एक इंटरव्यू के दौरान साझा किया था। उन्होंने कहा कि पिछली बार जब वो सांसद बनकर विदिशा संसदीय क्षेत्र पहुंचे थे, तब उन्हें वहां तीन अनाथ बच्चियां मिलीं, जिन्हें वो अपने साथ घर ले आए। घर आकर उन्होंने अपनी पत्नी साधना सिंह से कहा- इन तीनों बच्चियों का इस दुनिया में कोई नहीं है। अब से इनके माता – पिता हम ही हैं। इसके बाद दोनों ने मिलकर उन बच्चियों का पालन पोषण किया।
‘बच्चियों की मां की मौत हो गई थी और पिता जेल में था’
शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि जब वो पहली बार सांसद बने तो विदिशा संसदीय क्षेत्र के एक खोआ नाम के गांव पहुंचे। वहां लोगों ने एक परिवार की समस्या बताई। लोगों को कहा कि यहां एक परिवार की तीन बेटियां हैं, जिनमें से एक की उम्र 6 महीने है, दूसरी डेढ़ साल की है और तीसरी बेटी 3 साल की है। उनकी मां की मौत हो चुकी है, जबकि उनका पिता जेल में है। इसलिए अब इन तीनों बच्चियों का दुनिया में कोई नहीं है।
गांव के लोगों ने शिवराज सिंह चौहान को उन बच्चियों की पूरी कहानी बताई। ग्रामीणों ने शिवराज से उन बच्चियों के लिए कुछ करने की मांग की। इस किस्से को सुनाते हुए शिवराज सिंह चौहान कहते हैं कि ‘ उस समय उन्हें तुरंत समझ ही नहीं आया कि इतने दुखों के पहाड़ में जीवन गुजारने वाली उन तीनों बच्चियों के लिए वो क्या करें। उन्होंने ग्रामीणों से कहा की तीनों बच्चियों को वो अपने साथ ले जा रहे हैं और तीनों को अपने साथ घर ले आए। जैसे ही वो घर पहुंचे तो उनकी गोद में तीन-तीन बच्चियां देख पत्नी साधना सिंह ने कहा कि आखिर ये बच्चियां कौन हैं और इनके माता पिता कहां हैं। इसपर शिवराज ने साधना को पूरी घटना सुनाई और कहा कि, अब से हम दोनों ही इन बच्चियों के माता-पिता हैं। अब से तुम इन बच्चियों का ख्याल एक मां की तरह रखना और मैं इनकी जिम्मेदारियां एक पिता की तरह उठाउंगा।
7 बेटियों और 2 बेटों के दत्तक माता पिता हैं शिवराज और साधना
यही नहीं, शिवराज ने इसके साथ साथ कुल 7 बेटियों का पिता बनकर उनका पालन पोषण किया। उन्हें पढ़ाया लिखाया उनकी केयर की। इसके बाद उनका शादी विवाह भी कराया और उनको विदा किया। वो कहतें हैं कि मेरी अंतराआत्मा में था और मैंनें विदिशा की सात बच्चियों को पाल कर उनकी शादी कराई। इसके अलावा उन्होंने दो लड़कों को भी अपना दत्तक पुत्र बनाया और उनका भी पालन पोषण अपने दोनों सच्चे पुत्रों के समान ही किया। बता दें कि, शिवराज और साधना के दो बेटे हैं। इनमें बड़े बेटे का नाम कार्तिकेय सिंह चौहान और छोटे का नाम कुणाल सिंह चौहान है।
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