सीहोर

800 फीट की ऊंचाई पर सज गया मां विजयासन का धाम

– प्यारा सजा तेरा द्वार भवानी – करीब 400 साल पुरानी और स्वयंभू हैं यहां देवी की प्रतिमा

सीहोरSep 27, 2022 / 08:17 pm

दीपेश तिवारी

सीहोर। विंध्याचल पर्वत पर करीब 800 फीट की ऊंचाई पर मां विजयासन का धाम सज गया है। प्राकृतिक खूबसूरती इसमें चार-चांद लगा रही है। नवरात्रि पर्व में रोजाना हजारों श्रद्धालु सलकनपुर पहुंचकर मां के दर्शन कर रहे हैं।

अखंड ज्योति
इतिहासकारों के अनुसार, सलकनपुर में विजयासन देवी की प्रतिमा करीब 400 साल पुरानी और स्वयंभू हैं। मंदिर प्रशासन के अनुसार, यहां गर्भगृह में अखंड ज्योत जल रही हैं।

यह मान्यता
महिषासुरमर्दिनी के अवतार के रूप में देवी ने यहां रक्तबीज नाम के राक्षस का वध किया था। फिर इसी स्थान पर बैठकर विजयी मुद्रा में तपस्या की, इसलिए इन्हें विजयासन देवी कहा गया।

प्राचीन श्रीदेवी धाम शक्ति पीठ सलकनपुर से देश और प्रदेश के लाखों श्रद्धालुओं की अस्था जुड़ी हुई है। नवरात्रि में प्रतिदिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां आकर माता के दरबार में हाजिरी लगाते हैं। नवरात्र पर्व के पहले दिन से ही माता के भक्तों में काफी उत्साह देखा जा रहा है।

बता दें कि नवरात्रि के नौ दिवसीय उत्सव के लिए सलकनपुर में तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। खासकर बुजुर्ग और अन्य कमजोर व्यक्ति अंडर पास सहित ट्राई साइकिल के जरिए पहुंचकर माता के दर्शन आसानी से कर पा रहे हैं। 80 सीसीटीवी से भक्तों पर निगरानी रखी जा रही है। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी कर दिए गए हैं।

मनोहरी हैं आसपास की पर्वत श्रृंखलाएं- मप्र की हृदयस्थली पुण्य सलिला मां नर्मदा के तट और सीहोर जिले की बुदनी तहसील से 25 किमी और होशंगाबाद से 35 किमी और राजधानीभोपाल से 70 किलोमीटर की दूरी पर विंध्याचल की हसीन वादियों में प्रकृति ने अपनी अनमोल छटा बिखेर रखी है। इस देवीधाम सलकनपुर की बात ही निराली है। चारों ओर मनोहारी पर्वत श्रृंखलाएं सभी को आकर्षित करती हैं। जिनमें एक पर्वत पर मां विजयासेन देवी का भव्य और दिव्य मंदिर बना हुआ है।

रक्तबीज दानव का वध माता ने किया था
मिला जानकारी के मुताबिक शारदीय और चैत्रीय नवरात्रि में मां की चौखट पर माथा टेकने दूरदराज से लाखों की संख्या में लोग आते हैं। हरियाली से भरे इस 1000 फीट ऊंचे पर्वत पर अलौकिक सौंदर्य के बीच मां की सुंदर प्रतिमा के दर्शन, परिक्रमा, वंदना, स्तुति कर अपनी मनोकामना पूरी कर पाते हैं। अनेक भक्तों की मां विजयासन कुलदेवी भी हैं, इसलिए यहां भक्तों की भीड़ अधिक संख्या में उमड़ती है। मंदिर से जुड़े लोग बताते हैं कि, मां विजयासन माता पार्वती का ही अवतार मानी गई हैं। मां ने रक्तबीज नामक राक्षस का संहार कर सृष्टि की रक्षा की थी।

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