पाठक ने कहा कि श्रीमद्् भागवत कथा सुनने से मनुष्य के कई जन्म के पाप का क्षय हो जाता है। हमें भागवत कथा सुनने के साथ उसका अनुशरण भी करना चाहिए। उन्होंने बताया कि वामन अवतार के रूप में भगवान विष्णु ने राजा बलि को यह शिक्षा दी कि दंभ तथा अहंकार से जीवन में कुछ हासिल नहीं होता है। यह भी बताया कि यह धनसंंपदा क्षणसंपदा क्षणभंगुरर होती है, इसलिए इस जीवन में परोपकार करो। अहंकार गर्व ,घृणा और ईष्या से मुक्त होने पर ही मनुष्य को ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है। यदि हम संसार में पूरी तरह मोहग्रस्त ओर लिप्त रहते हुए सांसारिक जीवन जीते है, तो हमारी सारी भक्ति एक दिखावा ही रहे जाएगी। वामन विष्णु के 5वें और त्रेता युग के पहले अवतार थे। यह ऐसे अवतार थे जो मानव शरीर में बौने ब्राहण के रूप में प्रकट हुए थे। भगवान बामन 52 अंगुल का रूप धारण करके प्रकट हुए और भगवान राजा बलि के द्वार पर पहुंचे। तीन पग भूमि दान याचना की, राजा बली ने वामन से छोटे रूप में देख कर भूमि दान करने के लिए सहर्ष राजी हो गए, लेकिन भगवान ने विशाल रूप धरकर दो पग में सारे लोक नाप दिया, तब राजा बलि को गलती का अहसास हुआ और प्रभु के आगे सिर झुका दिया।