सीहोर

By Election: अब चुनावी रंग में आया बुदनी, जानिए क्या है मतदाताओं का मूड

by election: भोपाल से बुदनी होकर शाहगंज और जैत जाएं या सलकनपुर, रेहटी होकर भैरुंदा तक। चुनावी माहौल जोरों पर है।

सीहोरNov 08, 2024 / 11:13 am

Manish Gite

भगवान उपाध्याय की रिपोर्ट
by election: सीहोर जिले की चर्चित विधानसभा सीट बुदनी दो दशक से भाजपा के कब्जे में है। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यहीं से 1990 में चुनाव जीतकर विधानसभा में प्रवेश किया था। फिर पांच विधानसभा चुनाव शिवराज ने यहीं से जीते। अब वे सीधे मुकाबले में नहीं हैं। भाजपा ने पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव (ramakant bhargava) को टिकट दिया है। उनका मुकाबला कांग्रेस से 1993 में इसी सीट से विधायक रहे राजकुमार पटेल (rajkumar patel) से है। भाजपा के इस गढ़ में सेंध लगाने कांग्रेस के बुजुर्ग नेता दिग्विजय सिंह गांव-गांव दस्तक दे रहे हैं। पूरा विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस व भाजपा के झंडे-बैनरों से रंगा है।
भोपाल से बुदनी होकर शाहगंज और जैत जाएं या सलकनपुर, रेहटी होकर भैरुंदा तक। चुनावी माहौल (Budhni bypoll) जोरों पर है। कांग्रेस क्षेत्र के पिछड़ेपन को मुद्दा बना शिवराज पर निशाना साध रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने क्षेत्र में लगातार संगठन को सक्रिय कर रखा है। भाजपा की जीत के लिए सीएम डॉ. मोहन यादव (dr mohan yadav) के साथ शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chauhan) मैदान में उतर चुके हैं। टिकट वितरण से कुछ दिन नाराज रहे पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह राजपूत अब खामोशी से भाजपा का काम कर रहे हैं।

असंतुष्ट भी मैदान में

मजेदार यह कि क्षेत्र के कुछ चर्चित चेहरे भी मैदान में हैं। आम आदमी पार्टी की आरती गजेंद्र शर्मा को टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय चुनाव उतर गईं। इसी तरह आरएसएस (Rss) के पूर्व पदाधिकारी दुर्गाप्रसाद सेन को भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो वे भी निर्दलीय मैदान में हैं। अर्जुन आर्य ने कांग्रेस से टिकट न मिलने पर सपा में चले गए।

प्रमुख मुद्दे

  1. विकास: कांग्रेस का आरोप है शिवराज के कार्यकाल में भी विकास नहीं हुआ। कुछ हुए तो शाहगंज तक। रेहटी-भैरुंदा की ओर नहीं।
  2. रेलवे लाइन: प्रस्तावित इंदौर-जबलपुर रेललाइन में क्षेत्र की उपेक्षा। अब तक बजट नहीं मिला इसलिए काम शुरू नहीं हो सका।
  3. नया नेतृत्व: भाजपा कार्यकर्ता दबे स्वर से और कांग्रेस कार्यकर्ता खुलकर नए नेतृत्व को मौका न मिलने का मुद्दा उठा रहे हैं।

सबको सब पता है, लेकिन कुछ कह नहीं सकते

शाहगंज के पास छोटी दुकान पर जमा कुछ ग्रामीणों के बीच चुनावी चर्चा का लब्बोलुआब यह है कि क्षेत्र के लोगों को सब पता है, लेकिन कुछ कह नहीं सकते। 65 वर्षीय आनंद सिंह बताते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी बरसों पुरानी बिजली, पानी और सड़क की समस्याएं हैं। चुनाव के समय उम्मीदें जागती हैं, चुनाव के बाद सब अपने काम में लग जाते हैं। युवा प्रशांत चौरसिया कहते हैं, क्षेत्र में रोजगार के अवसर नहीं हैं। कुछ फैक्टरियां हैं, जहां भी बाहर के युवाओं को नौकरी दी जाती है। यहां का युवा खेती के अलावा कुछ करने लायक नहीं समझा गया। पत्रिका ने बुधनी के बकतरा, आमोन, मछवाई, डोबी में चुनावी माहौल को टटोला। लोगों ने कहा, शिवराज सिंह ने क्षेत्र के विकास के लिए काफी धनराशि दी पर धरातल पर कार्य नजर नहीं आए।

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