अमरूद (Sehori Guava) की खेती के लिए 200 पंचायत को 16 क्लस्टर में बांटकर किसानों का चयन किया जा रहा है। हर पंचायत से करीब 10 किसानों को क्लस्टर में लिया जाएगा। खास यह है कि सरकार न केवल किसानों को अमरूद की खेती के लिए एक एकड़ पर 1.80 लाख रुपए देगी, बल्कि फसल को बेचने के लिए मार्केटिंग भी करेगी।
फसल बेचने कंपनियों से अनुबंध
किसानों (MP Farmers) को उनकी फसलों का अच्छा भाव मिले, इसलिए फसल बेचने के लिए जिला प्रशासन कंपनियों से अनुबंध करेगा। पहले साल में 2000 एकड़ में 4.15 लाख अमरूद के पौधे लगाएगा। इसके लिए जिले से 1700 किसानों का हितग्राही के रूप में चयन किया जा रहा है। जिला पंचायत सीईओ आशीष तिवारी ने बताया कि 15 से 30 जुलाई तक बगीचा तैयार किया जाएगा। इसी दौरान पौधरोपण भी हो जाएगा। इससे पहले उद्यानिकी विभाग किसानों को इस खेती की ट्रेनिंग देगा। अच्छी किस्म के भी पौधे देगा।
कार्ययोजना तीन विभाग उद्यानिकी, कृषि, वाटरशेड और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के जरिए चलेगी। पहले चरण में 2000 एकड़ में अमरूद के पौधे लगेंगे। 15 माह में उत्पादन शुरू होगा। गेहूं-चना के साथ अमरूद की खेती होगी। सोयाबीन की बोवनी भी किसान कर सकेंगे। दूसरे चरण में अमरूद की प्रोसेसिंग यूनिट लगाने का काम होगा।
सरकार करेगी मार्केटिंग
बता दें कि इस प्रोजेक्ट में किसानों को फसल बेचने में खुद से मशक्कत नहीं करनी होगी,
मध्य प्रदेश सरकार इन अमरूदों के लिए मार्केटिंग करेगी। इस प्रोजेक्ट में जिले की 200 पंचायतों में 16 क्लस्टर से किसान जुड़ रहे हैं।
अभी एक साल में सिर्फ दो फसल गेहूं और चने की पैदावार होती है। जिले में क्लस्टर बनाकर अमरूद के बगीचे लगाने की कार्ययोजना पर काम चल रहा है। इससे किसानों की आय बढ़ेगी। परंपरागत खेती से हटकर नया करने का मौका मिलेगा। मनरेगा से इसका बजट मिलेगा।