क्या है प्लास्टिक रेन
इस बारिश में आ रही माइक्रोप्लास्टिक का साइज 5 मिलीमीटर जितना होता है। माइक्रोप्लास्टिक खिलौनों, कपड़ों, गाड़ियों, पेंट, कार के पुराने पड़े टायर या किसी भी चीज में होते हैं। ये इन सभी समानों और इंसानों से होते हुए समुद्र में पहुंच रहा है। जिसके बाद यह समुद्र के इकोसिस्टम का हिस्सा बन जाते हैं और वापस धरती पर बारिश बनकर लौट आते हैं।
इस बारिश में आ रही माइक्रोप्लास्टिक का साइज 5 मिलीमीटर जितना होता है। माइक्रोप्लास्टिक खिलौनों, कपड़ों, गाड़ियों, पेंट, कार के पुराने पड़े टायर या किसी भी चीज में होते हैं। ये इन सभी समानों और इंसानों से होते हुए समुद्र में पहुंच रहा है। जिसके बाद यह समुद्र के इकोसिस्टम का हिस्सा बन जाते हैं और वापस धरती पर बारिश बनकर लौट आते हैं।
धरती पर क्या हो रहा असर
साइंस जर्नल में अमेरिका पर हुई एक स्टडी में एक ऐसे शहर को लिया गया जहां प्रदूषण बिल्कुल नहीं था। यहां लगभग 14 महीने तक बारिश की जांच की गई। इस जांच में पता चला कि इतने ही महीनों में यहां एक हजार मैट्रिक टन से भी ज्यादा प्लास्टिक बरस चुका है।
साइंस जर्नल में अमेरिका पर हुई एक स्टडी में एक ऐसे शहर को लिया गया जहां प्रदूषण बिल्कुल नहीं था। यहां लगभग 14 महीने तक बारिश की जांच की गई। इस जांच में पता चला कि इतने ही महीनों में यहां एक हजार मैट्रिक टन से भी ज्यादा प्लास्टिक बरस चुका है।
बारिश से साफ शहर भी हो रहे प्रदूषित
ये जांच दक्षिणी नेशनल पार्क की हवा में की गई। ये एरिया पूरी तरह से प्रोटेक्टेड है, यहां न तो कई किलोमीटर तक कोई गाड़ी चलती है और न हीं यहां किसी तरह का पॉल्यूशन फैलाने वाला स्रोत है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस बारिश से प्रदूषित शहर के साथ-साथ साफ शहर में भी प्रदूषण फैल रहा है।
ये जांच दक्षिणी नेशनल पार्क की हवा में की गई। ये एरिया पूरी तरह से प्रोटेक्टेड है, यहां न तो कई किलोमीटर तक कोई गाड़ी चलती है और न हीं यहां किसी तरह का पॉल्यूशन फैलाने वाला स्रोत है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस बारिश से प्रदूषित शहर के साथ-साथ साफ शहर में भी प्रदूषण फैल रहा है।
प्लास्टिक रेन का क्या होगा सेहत पर असर
माइक्रोप्लास्टिक पर हुए एक रिसर्च के अनुसार हम रोजाना लगभग 7 हजार माइक्रोप्लास्टिक के टुकड़े अपनी सांस के जरिए लेते हैं। पोर्ट्समाउथ यूनिवर्सिटी की स्टडी में माना गया कि ये वैसा ही है, जैसा तंबाखू खाना या सिगरेट पीना। मगर अभी फिलहाल इस बात का पता नहीं लगाया जा पाया है कि कितनी मात्रा हमारी सेहत पर बुरा असर डाल सकती है।
माइक्रोप्लास्टिक पर हुए एक रिसर्च के अनुसार हम रोजाना लगभग 7 हजार माइक्रोप्लास्टिक के टुकड़े अपनी सांस के जरिए लेते हैं। पोर्ट्समाउथ यूनिवर्सिटी की स्टडी में माना गया कि ये वैसा ही है, जैसा तंबाखू खाना या सिगरेट पीना। मगर अभी फिलहाल इस बात का पता नहीं लगाया जा पाया है कि कितनी मात्रा हमारी सेहत पर बुरा असर डाल सकती है।
प्लास्टिक से होता है शरीर पर बुरा असर
आमतौर पर यह कहा जाता है कि प्लास्टिक सेहत पर बुरा असर डालता है। इससे हमारे पांचन तंत्र से लेकर प्रजनन क्षमता पर बुरा असर पड़ता है। वहीं प्लास्टिक से कैंसर होने का भी खतरा होता है। वहीं प्लास्टिक रेन भविष्य में खतरनाक साबित हो सकती है।
आमतौर पर यह कहा जाता है कि प्लास्टिक सेहत पर बुरा असर डालता है। इससे हमारे पांचन तंत्र से लेकर प्रजनन क्षमता पर बुरा असर पड़ता है। वहीं प्लास्टिक से कैंसर होने का भी खतरा होता है। वहीं प्लास्टिक रेन भविष्य में खतरनाक साबित हो सकती है।
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