ई-टैटू की है ये खासियत
-बता दें कि जिस शोधकर्ता ने इस ई-टैटू को बनाया है उसने ई-टैटू में बेहद पतले और आसानी से खिंचने वाले सेंसर लगाएं हैं।
-यह मार्केट market में उपलब्ध फिटनेस fitness ट्रैकर tracker से अच्छे हैं।
-इसमें फिलामेंट्री सर्पेटाइन पॉलीविनायल फ्लोराइड भी उपयोग किए गए हैं, जो इसे काफी हल्का बनाते हैं।
-इसको लंबी अवधी तक पहना जा सकता है।
-ई-टैटू में 3डी डिजिटल digital इमेज को-रिलेशन तकनीक tecnology का इस्तेमाल किया गया है।
-इस तकनीक की मदद से यह जाना जाता है कि सीने के किस हिस्से में वाइब्रेशन हो रहा है। वहां ई-टैटू लगाया जाएगा तो बेहतर परिणाम देगा।
-बता दें कि जिस शोधकर्ता ने इस ई-टैटू को बनाया है उसने ई-टैटू में बेहद पतले और आसानी से खिंचने वाले सेंसर लगाएं हैं।
-यह मार्केट market में उपलब्ध फिटनेस fitness ट्रैकर tracker से अच्छे हैं।
-इसमें फिलामेंट्री सर्पेटाइन पॉलीविनायल फ्लोराइड भी उपयोग किए गए हैं, जो इसे काफी हल्का बनाते हैं।
-इसको लंबी अवधी तक पहना जा सकता है।
-ई-टैटू में 3डी डिजिटल digital इमेज को-रिलेशन तकनीक tecnology का इस्तेमाल किया गया है।
-इस तकनीक की मदद से यह जाना जाता है कि सीने के किस हिस्से में वाइब्रेशन हो रहा है। वहां ई-टैटू लगाया जाएगा तो बेहतर परिणाम देगा।
कैसे करें इस्तेमाल
ई-टैटू को अलग तरह से डिजाइन किया गया है। ये एक जाल की तरह दिखता है। इसकी लंबाई 38.1 मिमी और चौड़ाई 63.5 मिमी है। इस ई-टैटू को सीने पर चिपका दिया जाता है। इससे पहले खिंचने वाले इस सेंसर को स्मार्टफोन से कनेक्ट किया जाता है।
ई-टैटू को अलग तरह से डिजाइन किया गया है। ये एक जाल की तरह दिखता है। इसकी लंबाई 38.1 मिमी और चौड़ाई 63.5 मिमी है। इस ई-टैटू को सीने पर चिपका दिया जाता है। इससे पहले खिंचने वाले इस सेंसर को स्मार्टफोन से कनेक्ट किया जाता है।
हालांकि, शोधकर्ता इस ई-टैटू को वायरलेस तरीके से चार्ज करने की नई तकनीक पर काम कर रहे हैं। इसके अलावा डिवाइस के डाटा को स्टोर करने की प्रक्रिया में भी सुधार किया जा रहा है।
टेक्सास यूनिवर्सिची के प्रोफेसर नैन्शू लू के अनुसार- हृदय रोगों का पता लगाने के लिए सिर्फ ईसीजी ही काफी नहीं है। इसलिए ई-टैटू में एससीजी का फीचर भी दिया गया है। वर्तमान में एससीजी फीचर वाले फिटनेस ट्रैकर उपलब्ध हैं, लेकिन भारी होने के कारण लंबे समय तक उनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।