
इन ठोस अवशेषों को काठमांडू ( Kathmandu ) के पास स्थित लैंडफिल साइट (अपशिष्ट पदार्थो को फेंकने की जगह) में फेंकने के बजाय, विभिन्न उत्पादों के लिए कच्चे माल खातिर इन्हें अलग किया गया। इसके बाद इन्हें प्रोसेस कर इनका रिसाइकिल ( recycling ) किया गया।

समाचार एजेंसी ने ब्लू वेस्ट टू वैल्यू के प्रधान नवीन विकास महारजन के हवाले से बताया, “हमने एकत्रित सामग्रियों को पहले विभिन्न श्रेणियों में अलग-अलग किया, जैसे कि प्लास्टिक, कांच, लोहा, एल्युमीनियम और कपड़े। मिले 10 टन कचरे में से दो टन को रिसाइकिल किया गया, जबकि बाकी बचे आठ टनों में अधजली वस्तुएं और मिट्टी से सने हुए आवरण होने की वजह से उनका पुनर्चक्रण नहीं किया जा सकता।” साल 2017 से 50 से अधिक लोग काठमांडू स्थित ब्लू वेस्ट टू वैल्यू से जुड़े हैं, यह एक सामाजिक उद्यम है जो कचरे से उपयोगी वस्तुएं बनाने का काम करती है।
पहाड़ों से मिले कचरे का रिसाइकिल करने के अलावा महारजन की टीम नगरपालिकाओं, अस्पतालों, होटलों और विभिन्न कार्यालयों के साथ भी काम कर रही है, ताकि कचरे का अधिक से अधिक सदुपयोग किया जा सके और लैंडफिल में भेजे गए कचरों की मात्रा को कम किया जा सके और हरित रोजगार का सृजन किया जा सके।

एवरेस्ट सफाई अभियान को और ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए कंपनी ने अधिकारियों को पहाड़ी क्षेत्र में कैंप लगाने का सुझाव दिया है, ताकि इन कचरों को जल्द से जल्द अलग कर इनका उचित प्रबंध किया जा सके। हालांकि यह कंपनी खुद इन पदार्थो का रिसाइकिल नहीं करती है, बल्कि मोवारे डिजाइन नामक एक दूसरी फर्म इस काम में उनकी मदद करती है, ताकि रिसाइकिल कांच के उत्पाद बनाकर उन्हें ऑनलाइन बेचा जा सके।