इसकी लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा में होगी
नासा में निसार के प्रोजेक्ट मैनेजर फिल बरेला और जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी की निदेशक डॉ. लॉरी लेशिन ने बेंगलूरु में मीडिया को बताया कि निसार एक तरह से पृथ्वी की सतह को देखने वाली रडार मशीन है जो बताएगी कि पृथ्वी कैसे बदल रही है। इसकी लॉन्चिंग से पहले कई परीक्षण किए जाने हैं। इनमें कंपन परीक्षण सबसे अहम है। सिस्टम का सुचारू संचालन सुनिश्चित करने के लिए बैटरी और सिमुलेशन परीक्षण भी जरूरी हैं। निसार का प्रक्षेपण इसरो के जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क-2 के जरिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया जाएगा। मिशन तीन साल तक चलेगा। डॉ. लॉरी लेशिन के मुताबिक निसार मिशन के साथ हम क्षमता के नए स्तर पर पहुंचेंगे। पृथ्वी को बहु-वर्षीय टाइमस्केल पर बदलते हुए देखना बेहद महत्त्वपूर्ण है।
प्राकृतिक खतरों को समझने में मददगार
निसार लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) वेधशाला है। इसे इसरो और नासा संयुक्त रूप से विकसित कर रहे हैं। प्रक्षेपण के बाद निसार हर 12 दिन में पूरी दुनिया का नक्शा तैयार करेगा। यह पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र, बर्फ द्रव्यमान, वनस्पति बायोमास, समुद्र के जलस्तर में वृद्धि, भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी और भूस्खलन समेत प्राकृतिक खतरों को समझने के लिए सुसंगत डेटा प्रदान करेगा।
दो सौर प्रणालियों से होगा संचालन
निसार में सिंथेटिक अपर्चर रडार इंस्ट्रूमेंट (एसएआर), एल-बैंड एसएआर, एस-बैंड एसएआर और एंटीना रिफ्लेक्टर होंगे। नासा के मुताबिक ऑनबोर्ड उपकरण अंतरिक्ष से एक सेंटीमीटर का मामूली बदलाव भी देख सकते हैं। एसयूवी आकार वाले निसार का द्रव्यमान करीब 2,800 किलोग्राम है। यह करीब चार किलोवाट बिजली प्रदान करने वाली दो सौर प्रणालियों से संचालित होगा।
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