अंतरिक्ष ट्रेवल के लिए बनाया विशेष सूटकेस लेकिन कार्सन यहीं नहीं रुकीं। उन्होंने अंतरिक्ष पर्यटन के लिए दुनिया का पहला बैग तैयार किया है जिसे ‘हॉरिजन वन लग्गेज लाइन’ कहा जाता है। यह बैग अंतरिक्ष में यात्रा करने के लिए अनुकूल सामानों के लिए डिजायन किया गया है। बर्लिन स्थित ट्रैवल ब्रांड हॉरिजन स्टूडियो के सहयोग से कार्सन ने बैग के लिए खास मॉडल तैयार किए हैं। इसे 2030 में नासा के महत्त्वकांक्षी और मंगल ग्रह पर उतरने वाले दुनिया के पहले मानव मिशन को ध्यान में रखकर तैयार किया जा रहा है।
क्या है सूटकेस की खासियत
यह एक स्पेस फे्रंडली लग्गेज लाइन है। इसे बीते साल हॉरिजन कंपनी ने लिमिटेड एडिशन के तहत प्रस्तुत किया था। इस केबिन ट्रॉली बैग को नासा ने भी अप्रूव्ड किया है। बैग में स्मार्ट-बैटरी चार्जर, 360 डिग्री तक घूमने वाले पहिए और एक एयरोस्पेस-ग्रेड पोलीकार्बोनेट हार्ड केस है। कार्सन का कहना है कि अंतरिक्ष पर्यटन अब बहुत दूर नहीं है। कुछ ही सालों में हम 6 घंटे के सफर में पृथ्वी से अंतरिक्ष तक का सफर तय करने लगेंगे। ऐसे में अपने साथ क्या लेकर जाएं इसी को ध्यान में रखकर इस बैग को बनाया गया है। अभी भी इस बैग पर काम चल रहा है।
यह एक स्पेस फे्रंडली लग्गेज लाइन है। इसे बीते साल हॉरिजन कंपनी ने लिमिटेड एडिशन के तहत प्रस्तुत किया था। इस केबिन ट्रॉली बैग को नासा ने भी अप्रूव्ड किया है। बैग में स्मार्ट-बैटरी चार्जर, 360 डिग्री तक घूमने वाले पहिए और एक एयरोस्पेस-ग्रेड पोलीकार्बोनेट हार्ड केस है। कार्सन का कहना है कि अंतरिक्ष पर्यटन अब बहुत दूर नहीं है। कुछ ही सालों में हम 6 घंटे के सफर में पृथ्वी से अंतरिक्ष तक का सफर तय करने लगेंगे। ऐसे में अपने साथ क्या लेकर जाएं इसी को ध्यान में रखकर इस बैग को बनाया गया है। अभी भी इस बैग पर काम चल रहा है।
इसके अंतरिक्ष की गुरुत्त्वाकर्षण रहित वातावरण में लचीलेपन, मोडऩे में आसान और कम जगह में ज्यादा सामान जैसी कुछ जरुरतों पर काम किया जाना बाकी है। इस बैग में ऐसी सुविधा भी होगी जिसकी मदद से लोग अंतरिक्ष से पृथ्वी पर अपने घरवालों से भी बातचीत कर सकें। उन्होंने अंतरिक्ष के क्षेत्र में कॅरियर बनाने के लिए लड़कियों को प्रेरित करते हुए यह भी कहा कि नासा जल्द ही ऐसे प्रोग्राम लाने जा रहा है जो स्कूली बच्चों को प्रशिक्षित करेगा। इसमें महिला-पुरुषों दोनों को एकसमान अवसर मिलेगा। अभी भी नासा जैसी एजेंसियों में हजारों स्पेस इंजीनियर, वैज्ञानिक और अंतरिक्ष यात्रियों की कमी है।