क्या है आइबीएम कोंडोर
क्वांटम कोंडोर दरअसल, आइबीएम का अब तक का बनाया सबसे बड़ा क्वांटम कम्प्यूटर है जो अब तक केवल 65 क्यूबिट का है। कंपनी का कहना है कि उसके वैज्ञानिक हर गुजरते दिन के साथ इस तकनीक के और करीब आते जा रहे हैं। उन्हें पूरा यकीन है कि वे 2021 में 127 क्यूबिट पर चलने वाला कम्प्यूटर, 2022 में 433 क्यूबिट पर और 2023 तक 1000 क्यूबिट की क्षमता पर काम करने वाला कम्प्यूटर बना लेंगे। उनकी योजना इसके बाद 10 लाख क्यूबिट (1 million) वाली मशीन विकसित करने का लक्ष्य है।
यह दिक्कत आ रही
आज के क्वांटम कंप्यूटरों को बहुत ही नाजुक अल्ट्रा-कोल्ड सेटअप (Delicate Ulttra-Cold Setup) की आवश्यकता होती है जो हल्के से शोर या वायुमंडलीय हस्तक्षेप से गड़बड़ा जाते हैं। इसलिए सामान्य कम्प्यूटर्स की तुलना में क्यूबिट्स की सुपरपोजिशनिंग (Superpositioning) को स्थिर रख पाना बहुत जटिल काम है। यही कारण है कि ‘एरर करेक्शन’ (Error Correction) को रोकने के लिए हमें ज्यादा से ज्यादा क्यूबिट्स की आवश्यकता पड़ती है। यही वजह है कि अभी केवल 10 क्यूबिट्स को ही एक साथ संयोजित कर पा रहे हैं। यही वजह है कि वैज्ञानिक 1121 क्यूबिट्स को भी क्वांटम तकनीक के लिए पर्याप्त नहीं मान रहे हैं। हालांकि ये इतनी स्थिरता प्रदान कर सकते हैं कि तार्किक और स्थिर क्यूबिट प्रणाली के लिए पर्याप्त होगा। अगर वैज्ञानिक लाखों क्यूबिट्स आधारित क्वांटम कम्प्यूटर बनाने में कामयाब हो गए तो हम इन क्वांटम चिप्स के बीच क्वांटम टेलीपोर्टेशन प्राप्त करने से लेकर रासायनिक प्रतिक्रियाओं का अनुकरण करने तक हर असंभव काम को चुटकियों में करने में सक्षम हो जाएंगे।