कबाड़ से कमाल तक का सफर
द्वितीय विश्वयुद्ध में नाजी सेना ने इस विशाल बंकर का निर्माण लंदन और दक्षिणी इंग्लैंड पर V-2 रॉकेट लॉन्च करने के लिए किया था। लेकिन मित्र राष्ट्रों की सेना ने इसे नेस्तानाबूद कर सितंबर 1944 में इस पर कब्जा कर लिया था। इसे सैन्य अड्डे के रूप में पुन: उपयोग करने से रोकने के लिए, विंस्टन चर्चिल ने इसे ध्वस्त करने का आदेश दिया। हालांकि, बाद में अपोलो कार्यक्रम के लिए इसके विशाल परिसर का उपयोग किया जाने लगा। 1990 में इसे वॉर म्यूजियम में बदल दिया गया।
अंतरिक्ष में होने का एहसास
हाल ही आरएसए कॉसमॉस और सोनी कंपनी ने एक साझे प्रोजेक्ट के तहत इस संग्रहालय में एक नए तारामंडल का निर्माण किया है। इसमें एक नया डिजिटल सिस्टम लगाया गया है, जिसमें आरएसए कॉसमॉस ने 3डी अनुभव की गुणवत्ता को और बढ़ाया है। दावा किया जा रहा है कि यह दुनिया का पहला तारामंडल है जो 10k पिक्चर क्वालिटी में 3D वीडियो स्ट्रीमिंग करता है। दर्शकों को इस प्लेनेटोरियम में बिल्कुल वास्तविक अंतरिक्ष और उसकी अंधेरी गहराइयों को देखने का अनुभव होता है वह भी भीतर तक प्रवेश कर जाने वाली ग्रहों, उल्कापिंडो और ब्रह्मांड से आने वाली विभिन्न प्रकार की आवाजों की।
60 लाख का है एक प्रोजेक्टर, ऐसे 12 लगाए हैं
कंपनी ने अपने स्काई एक्सप्लोरर 2021 सॉफ्टवेयर के संयोजन और सोनी के 49 फीट (15 मीटर) ऊंचे 12 वीपीएल-जीटीजेड 380 के 4k प्रोजेक्टर को इसके डिजिटल गुंबद में लगाया है। प्रत्येक प्रोजेक्टर की कीमत करीब 80 हजार अमरीकी डॉलर (59,44,984 रुपये) है। जो अपनी बेहतरीन इमेज, उन्नत वीडियो क्वालिटी और क्रिस्टल साउंड तकनीक के 100 प्रतिशत मनोरंजन के साथ आंखों को जादुई अहसास कराते हैं।