वैज्ञानिकों के मुताबिक डायनासोर के लिए अंटार्कटिका (Antarctica) उनका मुख्य बसेरा था। चूंकि डायनासोर को जीवित रहने के लिए गर्मी की जरूरत पड़ती है। इसलिए आज से लाखों वर्ष पहले यहां बर्फ की मोटी चादर के बजाय भयंकर गर्मी पड़ती थी। शोधकर्ताओं को यहां बर्फ में दबे डायनासोर के जो जीवाश्म मिले हैं, वो इसी दौर की तरफ इशारा करते हैं।
खुली आंखों से आसमान में दिखा स्पेस स्टेशन, चमकीले तारे जैसा आया नजर शोधकर्ताओं के अनुसार एक उल्कापिंड के धरती से टकराने पर सब कुछ बदल गया। इससे ग्लेशियर पिघल गए और समंदर में समा गए। इससे समुद्र का जल स्तर बढ़ गया। भू-विज्ञान में इसे क्रिटेशियस महायुग कहते हैं। जानकारों के मुताबिक अंटार्कटिका में डायनासोर के जीवित रहने के आलवा उनका पेट भरने के लिए दुलर्भ पेड़-पौधे भी थे, जो गर्मी में ही उग सकते थे। मगर पर्यावरण में हुए बदलाव के चलते अचानक पूरा जंगल (Forest) भी नष्ट हो गया।