आइआइटी हैदराबाद के निदेशक डॉ. यूबी देसाई ने बताया कि ये एक अलग तरह की प्रक्रिया है जिससे छात्रों को कुछ नया सीखने के साथ शोध की दुनिया में कुछ नया करने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि वे बहुत उत्साहित हैं कि उनके संस्थान में इस तरह के ड्रोन का निर्माण होगा जिससे कई तरह की समस्याएं हल हो जाएंगी। माना जा रहा है कि यहां इस तरह के ड्रोन तैयार किए जाएंगे जिनकी मदद से 5-जी कम्युनिकेशन, कृषि, परिवहन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्रों में आगे बढ़ सकेंगे। मालूम हो कि टेरा ड्रोन कंपनी औद्योगिक क्षेत्रों से जुड़े ड्रोन बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में शामिल है जो दुनिया के 20 देशों में है। कंपनी आइआइटी हैदराबाद के स्टूडेंट्स को प्रशिक्षित करने के लिए वर्कशॉप, सेमिनार, लेक्चर का आयोजन करेगी। साथ में इंटर्नशिप प्रोग्राम के तहत छात्रों को तकनीक के करीब लाएगी जिससे छात्र ड्रोन टेक्नोलॉजी को बेहतर ढंग से समझ सकें।
फ्लाइंग कार पर भी काम
कंपनी ड्रोन बनाने के साथ एविएशन क्षेत्र के लिए भी काम कर रही है। इसके साथ ही कृत्रिम बुद्धिमता से लैस ड्रोन बनाने में उसकी टीम लगी है। साथ ही जापान में फ्लाइंग कार प्रोजेक्ट पर काम कर रही है जिससे आने वाले समय में कार जैसे वाहन सडक़ मार्ग के साथ हवा में भी चल सकेंगे।
भारत में ड्रोन का बाजार बड़ा
टेरा ड्रोन कंपनी के सीईओ टोरू टोकुशिगे का कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेजी से बढऩे वाली अर्थव्यवस्था है। ऐसे में आने वाले समय में भारत में कॉमर्शियल ड्रोन का बाजार तेजी से बढ़ेगा और अलग-अलग क्षेत्रों में इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर होगा।