ग्राम पंचायत पट्टीकलां में दंगल का आयोजन डूंगरी वाले बालाजी के समीप किया गया। यहां भाजपा एसटी मोर्चा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य महेन्द्र मीणा, जिला परिषद सदस्य विशंभर मीणा एवं सरपंच रतनीदेवी की मौजूदगी में दंगल की शुरुआत हुई। कुश्ती 101 से शुरू हुई और आखिरी कुश्ती 5100 रुपए पर जाकर पूरी हुई।
इस बीच में पांच सौ, ग्यारह सौ, इक्कीस सौ एवं इकत्तीस सौ रुपए की भी कई कुश्तियां हुई। इस दौरान पहलवानों ने अपनी ताकत एवं दांव पेच की कला का प्रदर्शन किया। दंगल की आखिरी कुश्ती भरतपुर के गजेन्द्र तथा जम्मू कश्मीर के राकेश कुमार के बीच हुई।
इसमें गजेन्द्र ने राकेश को पराजित कर बामनवास केसरी का खिताब जीता। इससे पहले भीलवाड़ा के सुनील तथा कमरपुर के कमलेश पहलवान के बीच हुई कुश्ती से दर्शक रोमांचित हुए। ग्राम पंचायत पट्टीखुर्द की ओर से राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में आयोजित दंगल में भी 5100 रुपए की आखिरी कुश्ती भरतपुर के गजेन्द्र के नाम रही। सरपंच उर्मिला मीणा ने विजेता पहलवानों को पुरस्कार दिए।
150 किलो वजनी पहलवान दोनों दंगलों में विजेता रहे भरतपुर के पहलवान गजेन्द्र को जीत के बाद बधाई देने के लिए लोगों में ऐसी होड मची कि भीड़ को नियंत्रित करना मुश्किल हो गया। आखिरी कुश्ती जीतते ही दर्शकों ने उसे हाथों पर उठा लिया। गजेन्द्र का वजन 150 किलो तथा उम्र 28 वर्ष है। वह पहले भी बामनवास केसरी का खिताब जीत चुका है।
पहलवानों की रही शिकायत दंगल समाप्त होने पर कई पहलवानों को दंगल में कुश्ती की प्रतियोगिताएं कम और पुरस्कार राशि भी कम रखने की शिकायत करते देखा गया। पहलवानों का कहना था कि वे जम्मू कश्मीर से यहां कुश्ती लडऩे आए कि बामनवास के दंगल में अच्छी इनाम मिलती होंगी, लेकिन यहां उनके आते ही आखिरी कुश्ती करा दी गई।