नहीं हो रही जलापूर्ति रीको में 1977 में उद्यमियों के लिए भूखण्ड आवंटित किए गए थे। इसके बाद 1980 में इसे पूर्ण विकसित औद्योगिक क्षेत्र घोषित किया गया। शुरुआत में छाबा में दो नलकूप लगाकर तथा पाइप लाइन से रीको में बनाई गई टंकी तक आपूर्ति कर पानी के प्रबंध किए गए। जनवरी 2013 में नलकूप सूख जाने से जलापूर्ति बंद हो गई। इसके बाद से रीको क्षेत्र की टंकी सूखी पड़ी है।
कागजों से बाहर नहीं आई योजनाएं औद्योगिक क्षेत्र में पानी के लिए बनाई योजना कागजों में ही सिमटकर रह गईं। रीको ने मार्च 2016 में जलदाय विभाग को 2.01 करोड़ रुपए के प्रस्ताव बनाकर भेजे थे। इसमें टोकसी की चरागाह भूमि में तीन नलकूप खुदवाकर गंगापुरसिटी तक पाइप लाइन बिछाने का कार्य होना था। स्थिति यह है कि पानी के प्रबंध के लिए अब तक बजट ही स्वीकृत नहीं हो सका है।
उद्योग-धंधे हो रहे हैं प्रभावित रीको में पानी की कमी से उद्योग-धंधे प्रभावित हो रहे हैं। स्थिति यह है कि यहां लगी 92 में से 46 इकाइयां बंद हैं। जिन उद्यमियों ने इकाई लगाई हुई है, उनको अपने स्तर पर पानी का प्रबंध करना महंगा साबित हो रहा है। पिछले चार साल से उद्यमी सभी जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक और विभागीय अधिकारियों से समस्या के समाधान की मांग कर चुके हैं। कई बैठकें भी हो चुकी हैं, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला।
मंगा रहे टैंकर रीको क्षेत्र में यहां सात तेल मिल व पांच दाल मिल भी हैं। इनमें पानी की अधिक आवश्यकता होती है। उद्यमी फैक्ट्रियों को चलाने के लिए टैंकरों से पानी मंगवा रहे हैं। सीमेन्ट की इन्टरलॉक फैक्ट्रियां पानी के अभाव में बंद हैं। आटा मिल भी पानी की कमी से प्रभावित है।
रीको की देरी आरोप है कि समस्या के समाधान के लिए टोकसी से जलापूर्ति करने में रीको की ओर से देरी की जा रही है। रीको प्रशासन ने दो करोड़ रुपए के प्रस्ताव भेजे थे, जिसको दो महीने पहले जलदाय विभाग ने स्वीकृत कर दिया। अब रीको यह राशि जमा कराने में रुचि नहीं दिखा रहा है।