scriptSawan 2024: बाघों की नगरी रणथंभौर के जंगलों में विराजते हैं भोलेनाथ, 1200 साल पुराने शिव मंदिर में उमड़ते हैं भक्त | Sawan 2024: Story of Amareshwar Mahadev Temple of Ranthambore | Patrika News
सवाई माधोपुर

Sawan 2024: बाघों की नगरी रणथंभौर के जंगलों में विराजते हैं भोलेनाथ, 1200 साल पुराने शिव मंदिर में उमड़ते हैं भक्त

Sawan 2024: जंगल में भगवान शिव के कई रमणीक स्थल, दर्शनों के लिए पहुंचते हैं श्रद्धालु

सवाई माधोपुरJul 22, 2024 / 04:27 pm

Rakesh Mishra

Amareshwar Mahadev
Sawan 2024: यूं तो आम तौर पर रणथंभौर को बाघों की नगरी के नाम से जाना जाता है, लेकिन रणथंभौर के जंगलों में बाघ-बाघिनों और अन्य वन्यजीवों के साथ ही भगवान भोलेनाथ का भी वास है। कई स्थान तो जंगल के बीचों बीच हैं, लेकिन पौराणिक मंदिर और शहर के लोगों की आस्था से जुड़े होने के कारण यहां हर साल सावन में भोले के दर्शन को भक्तों का हुजूम उमड़ता है। श्रावण के सोमवार पर पेश है एक रिपोर्ट

अमरेश्वर महादेव

रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान की रेंज में अमरेश्वर महादेव मंदिर है। यह रेलवे स्टेशन से लगभग 7 किमी दूर है। रणथंभौर की ऊंची पहाड़ी पर जंगल के बीच स्थित यह लोगों की आस्था का केंद्र हैं। अमरेश्वर महादेव लगभग 1200 साल पुराना बताया जाता है। लोगों का कहना है कि यह रणथंभौर किले जितना ही पुराना है। सालों पहले यहां घना जंगल होने के कारण मंदिर तक पहुंचना असंभव था, लेकिन वर्तमान में सिर्फ वन क्षेत्र के अंदर एक किमी तक पैदल जाना पड़ता है। यहां शिवरात्रि और सावन के दौरान कई धार्मिक आयोजन होते हैं। बरसात के मौसम में यह मंदिर अपने आसपास के मनमोहक झरनों, नालों और खूबसूरत पेड़ों के कारण शहरवासियों के लिए एक प्रमुख पिकनिक स्थल है। यहां एक पौराणिक कुंड भी है, जहां श्रद्धालु स्नान करते हैं।

झोझेश्वर महादेव

रणथभौर बाघ परियोजना की फलोदी रेंज में घने वन क्षेत्र में झोझेश्वर महादेव का मंदिर है। यहां बारिश के समय सुंदर झरना बहता है। सैंकड़ों की संख्या में सैलानी पिकनिक मनाने और सैर सपाटे के लिए आते हैं। मंदिर में भगवान शिव की प्राचीनकालीन मूर्ति है। श्रावण महोत्सव में यहां कीर्तन, कांवड यात्रा आदि कई धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।

भूतेश्वर महादेव मंदिर

आवासन मण्डल में स्थित भूतेश्वर महादेव मंदिर काफी पुराना है। यह फिलहाल रणथंभौर बाघ परियोजना के क्षेत्र में नहीं आता है, लेकिन इतिहासकारों की माने तो इस मंदिर का भी रणथंभौर से गहरा नाता रहा है। प्राचीन समय में यह तांत्रिक साधना का केन्द्र माना जाता था। रणथंभौर में पूजा अर्चना करने वाले योगी महात्मा यहां भी दर्शनों और पूजा अर्चना के लिए आते हैं। श्रावण मास में भी यहां भी कई प्रकार के धार्मिक आयोजन होते हैं।

कमलेश्वर महादेव

सवाईमाधोपुर एवं बूंदी जिले की सीमा पर स्थित कमलेश्वर महादेव मंदिर मध्यकालीन युग का तीर्थ स्थल है। नगर शैली के ऊंचे शिखर वाले इस मंदिर का निर्माण हमीर के पिता जैत्रसिंह ने विक्रम संवत् 1345 में चाखन नदी के तट पर करवाया था। यह मंदिर सवाईमाधोपुर जिला मुयालय से 45 किमी दूर है। इसे मिनी खजुराहो भी कहा जाता है। मंदिर पर पत्थरों को तराशकर विभिन्न मुद्राओं में योग, आसन एवं संगीत कला को विभिन्न मूर्तियों के रूप में दिखाया गया है। आसपास विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां विराजमान है। कमलेश्वरमहादेव में तीन कुंड बने हुए हैं। सावन सहित कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी एवं अमावस्या को यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। सोमवती चतुर्दशी या अमावस्या पर कुंड में नहाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।

अरणेश्वर मंदिर

रणथंभौर बाघ परियोजना के सामाजिक वानिकी वन क्षेत्र के समीप भगवतगढ़ में यह मंदिर स्थित है। इसको शिव कुण्ड धाम के नाम से भी जाना जाता है। शिवरात्रि और कार्तिक पूर्णिमा पर मेले का आयोजन होता है। हर अमावस्या की चतुर्थी पर हर माह भी मेले का आयोजन होता है। शिवकुण्ड में स्नान करने से चर्म रोग दूर होने की मान्यता है। इसके अलावा यहां पर हजारों की संख्या में कदब के पेड़ हैं, जो इतनी बड़ी तादाद में कम ही जगहों पर मिलते हैं। भक्तों के लिए आस्था का बड़ा केन्द्र है। सावन माह के दौरान यहां पर कई धार्मिक आयोजन होते हैं। रणथभौर बाघ परियोजना की आरोपीटी रेंज के जोन दो में शोलेश्वर महादेव मंदिर करीब 450 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। बारिश में यह स्थान बहुत ही सुंदर और आकर्षक लगता है। यहां भी सावन माह में सैंकड़ों की संया में श्रद्धालु और कांवड़ यात्री आते हैं। हालांकि रणथभौर के मुय जंगल में स्थित होने के कारण पूर्व में इसके लिए वन विभाग से अनुमति लेना आवश्यक होता है। यहां पर बाघ व अन्य कई वन्यजीवों का विचरण रहता है।

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