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राज्य तितली घोषित करने की कवायद: इस ओर वन विभाग व राज्य सरकार की ओर से कवायद की जा रही है। गौरतलब है कि राजस्थान देश का अठवां राज्य हैं। जिसने राज्य तितली घोषित करने की ओर कदम बढ़ाए हैं। राजस्थान से पहले एमपी, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्य स्टेट बटरफ्लाई घोषित कर चुके हैं।
रणथम्भौर में मिलती है 55 प्रकार की तितलियां: वन्यजीव विशेषज्ञ धर्मेन्द्र खाण्डल ने बताया कि रणथम्भौर में करीब 55 प्रकार की तितलियां पाई जाती है। उन्होंने कई साल पहले रणथम्भौर में डक्कन ट्राई कलरपाइड फ्लैट व स्पोटेट स्मॉल फ्लैट की दो तितलियां खोजी थी। इसके अलावा रणथम्भौर में लाइम बटर फ्लाई, येूलू पैनसी, पीकॉक पैनसी बेरोनेट, ग्रेट इग फ्लाई आदि कई प्रकार की तितलियां पाई जाती हैं।
जैव विविधता में तितलियों का योगदान: पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. डीएन पांडे का कहना है कि तितलियां स्वस्थ इको सिस्टम का एक प्रमुख हिस्सा है। परागकण के माध्यम से तितलियां प्रकृति में अहम रोल अदा करती है। पक्षी, मधुमक्खी, चींटी व अन्य जीवों के खाद्य बैंक के लिए तितलियां काम करती है। वनाधिकारियों ने बताया कि पर्यावरण एवं जैव विविधता के संरक्षण में तितलियों का अपना योगदान है। अब पशु और पक्षियों की तरह ही तितलियों का संरक्षण जरूरी है।
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ओकलीफ (डेडलीफ) है राष्ट्रीय तितली: लॉकडाउन के दौरान 2020 सितंबर में बटर फ्लाई माह मनाया गया था। तब देश के तितली प्रेमियों ने कई तरह की तितलियों की खोज की। भारत में मेवाड़ में भी 1368 वीं तितली खोजी गई। राष्ट्रीय तितली घोषित करने के लिए देशभर में ऑनलाइन वोटिंग की गई। इसके बाद ओकलीफ जिसको डेडलीफ भी कहते हैं, को राष्ट्रीय तितली घोषित किया गया। इसकी खासियत यह है कि इसके पंख बंद होने पर यह सूखे पत्ते की तरह दिखाई देती है और खोलने पर पंखों पर तीन रंग दिखाई देते हैं।
एक्सपर्ट व्यू: तितलियों का जैव विविधता के संरक्षण में विशेष योगदान होता है। परागकण के माध्यम से तितलियां प्रकृति में अहम रोल अदा करती है। ऐसे में राज्य तितली घोषित करने से तितलियों को संरक्षण मिलेगा और बर्ड ट्यूरिज्म में भी इजाफा होगा।- मुकेश सैनी, पूर्व उपवन संरक्षक, रणथम्भौर बाघ परियोजना, सवाई माधोपुर।