सवाई माधोपुर

Rajasthan Tiger Reserve: राजस्थान में बाघों के लिए शिफ्ट होंगे 106 गांव, इन 2 जिलों में हटेंगे सबसे ज्यादा गांव

Rajasthan Tiger Reserve: वन विभाग व सरकार की ओर से राजस्थान में बाघों को जंगलों में बेहतर पर्यावास उपलब्ध कराने और बाघों की संख्या में इजाफा करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

सवाई माधोपुरNov 21, 2024 / 02:45 pm

Anil Prajapat

सवाईमाधोपुर। वन विभाग व सरकार की ओर से प्रदेश में बाघों को जंगलों में बेहतर पर्यावास उपलब्ध कराने और बाघों की संख्या में इजाफा करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। प्रदेश के टाइगर रिजर्व में वर्तमान में 133 बाघ, बाघिन व शावकों का विचरण है, लेकिन पर्यावास क्षेत्र में 106 गांव बसे होने से बाघाें को बेहतर पर्यावास नहीं मिल पा रहा है। आलम यह है कि कई सालों से प्रदेश के किसी भी टाइगर रिजर्व में एक भी गांव विस्थापित नहीं किया जा सका है।
गौरतलब है कि हाल ही में वन विभाग की ओर से करौली और धौलपुर के जंगलों को मिलाकर प्रदेश का पांचवां टाइगर रिजर्व घोषित किया गया है। विस्थापन को लेकर अगले माह जयपुर में स्टेट लेवल मॉनिटरिंग कमेटी की बैठक प्रस्तावित है।

सबसे अधिक करौली-धौलपुर से होंगे विस्थापित

टाइगर रिजर्व के आसपास बसे गांवों के विस्थापन की समस्या का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब भी प्रदेश के पांचों टाइगर रिजर्व को मिलाकर कुल 106 गांवों को विस्थापित किया जाना है। सबसे अधिक गांव हाल ही में घोषित किए गए करौली-धौलपुर टाइगर रिजर्व में विस्थापित किए जाने हैं। इसमें कुल 43 गांवों को विस्थापित किया जाना प्रस्तावित है। वहीं, सरिस्का में 29 गांवों को शिफ्ट किया जाना है। इस संबंध में अगले महीने एक उच्च स्तरीय बैठक जयपुर में होनी है।

विस्थापन इसलिए जरूरी

रणथम्भौर और प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व में वर्तमान में लगातार बाघों की संख्या में इजाफा हो रहा है। ऐसे में बढ़ती बाघों की संख्या और गांवों का विस्थापन नहीं हो पाने के कारण टाइगर रिजर्व में बाघों के लिए जगह कम पड़ रही है। बाघ बार-बार टेरेटरी की तलाश में जंगल के बाहर आबादी क्षेत्र की ओर आ रहे हैं। ऐसे में बाघ और मानव के बीच संघर्ष की आशंका बढ़ रही है।
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इनका कहना है…

यह सही है कि रणथम्भौर सहित प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व में अभी कई गांवों को विस्थापित किया जाना है। विभाग की ओर से इस संबंध में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
-रणवीर सिंह भण्डारी, उपवन संरक्षक (विस्थापन), रणथम्भौर बाघ परियोजना, सवाईमाधोपुर।
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