नरेशी ने बताया कि कैसे इस बीमारी ने उनके परिवार को झकझोर कर रख दिया, और उनकी मां ने अपनी सबसे कीमती संपत्ति—अपने गहने—बेच दिए ताकि नरेशी का इलाज हो सके। लेकिन दुर्भाग्य से, डॉक्टरों ने ट्यूमर का पूरा इलाज नहीं किया और वो एक क्रिटिकल जगह पर स्थित रहा। नरेशी ने ये भी बताया कि उन्हें प्रोटॉन थेरेपी की जरूरत थी, जो भारत में केवल 3-4 अस्पतालों में ही उपलब्ध है और जिसकी लागत करीब 25-30 लाख रुपए है।
नरेशी का उद्देश्य केवल इस थेरेपी के लिए पैसे जुटाना नहीं था, बल्कि केबीसी के मंच पर आकर उन्होंने अपने जीवन की असली प्रेरणा को सभी के सामने रखा। उन्होंने साबित कर दिया कि जब इरादे मजबूत होते हैं, तो कोई भी बीमारी या परेशानी इंसान को हरा नहीं सकती। इधर केबीसी के होस्ट, अमिताभ बच्चन, जब नरेशी की कहानी सुनते हैं, तो वो खुद भी भावुक हो जाते हैं। बिग बी कहते हैं , “नरेशी जी, मैं आपकी प्रोटॉन थेरेपी के सारे खर्चे उठाने की कोशिश करूंगा। अब जो भी राशि आप यहां से जीतेंगी, वह केवल आपकी होगी, और आपके इलाज की चिंता आपको नहीं करनी पड़ेगी।”
यह कहना कि नरेशी का यह सफर आसान था, गलत होगा। उन्होंने बताया कि केबीसी के मंच तक पहुंचने में उन्हें सात साल लगे। हर साल उन्होंने खुद को और भी मजबूत बनाया, और यह विश्वास बनाए रखा कि एक दिन वो यहां जरूर पहुंचेंगी। नरेशी ने बताया कि इस सफर ने उन्हें न केवल अपने परिवार बल्कि अपने इलाके की महिलाओं को भी सशक्त करने की प्रेरणा दी है।
केबीसी के मंच से उन्होंने यह संदेश दिया कि शिक्षा और सशक्तिकरण ही वह साधन हैं, जिनसे किसी भी कठिनाई का सामना किया जा सकता है। नरेशी का यह सफर इस बात का प्रमाण है कि इंसान की असली जीत उसकी मेहनत, धैर्य और दृढ़ संकल्प में होती है।इस तरह की कहानियां हमें सिखाती हैं कि जीवन में कठिनाइयां तो आएंगी, लेकिन यदि हम हार मान लें, तो यह हमारे सपनों की हार होगी। नरेशी ने यह साबित कर दिया कि अगर हमारे इरादे मजबूत हैं, तो कोई भी बाधा हमें रोक नहीं सकती।