Karwa Chauth 2018 साल में चार चौथ बड़ी आती है, जिसमें एक ही दिन में डेढ़ से दो लाख माता के भक्त दर्शनों के लिए आते हैं। इस मंदिर की स्थापना 1451 में यहां के शासक भीम सिंह ने की थी। 1463 में मंदिर मार्ग पर बिजल की छतरी और तालाब का निर्माण कराया गया। नवरात्र के दौरान यहां होने वाले धार्मिक आयोजनों का विशेष महत्व है। करीब 1100 फीट ऊंची पहाड़ी पर विराजमान चौथ माता जन-जन की आस्था का केन्द्र है। मंदिर तक पहुंचने के लिए 700 सीढिय़ां चढऩी पड़ती हैं। देवी की मूर्ति के अलावा, मंदिर परिसर में भगवान गणेश और भैरव की मूर्तियां भी स्थित हैं। सफेद संगमरमर के पत्थरों से बना माता का मंदिर परंपरागत राजपूताना शैली को दर्शाता है।
चौथ का बरवाड़ा शहर में हर चतुर्थी को स्त्रियाँ माता जी के मंदिर में मां के दर्शन करने के बाद व्रत खोलती है एवं सदा सुहागन रहने की आशीष प्राप्त करती हैं। करवा चौथ एवं माही चौथ पर माता जी के दरबार में लाखों की तादाद में दर्शनार्थी पहुंचते हैं जिससे छोटा सा चौथ का बरवाड़ा शहर माता जी के जयकारों से गुंजायमान रहता है। हाड़ौती के लोग हर शुभ कार्य से पहले चौथ माता को निमंत्रण देते हैं। प्रगाढ़ आस्था के कारण बूंदी राजघराने के समय से ही इसे कुल देवी के रूप में पूजा जाता है। माता के नाम पर कोटा में चौथ माता बाजार भी है।