सवाई माधोपुर

इंसानी खून के प्यासे हो चुके टाइगर को मिली ‘सजा’, अब रणथम्भोर से सीधे जाएगा ‘सलाखों के पीछे’

रणथम्भौर व करौली के कैलादेवी अभयारण्य में अब तक तीन लोगों को ( died in tiger attack ) शिकार बना चुके बाघ टी-104 अब रणथम्भौर ( ranthambhore tiger reseve) में नहीं रहेगा। बाघ को जल्द ही किसी बॉयोलोजिकल पार्क ( biological park ) में पिंजरे में शिफ्ट किया जाएगा।

सवाई माधोपुरOct 07, 2019 / 01:53 am

abdul bari

सवाईमाधोपुर.
रणथम्भौर व करौली के कैलादेवी अभयारण्य में अब तक तीन लोगों को ( died in tiger attack ) शिकार बना चुके बाघ टी-104 अब रणथम्भौर ( ranthambhore tiger reseve) में नहीं रहेगा। बाघ को जल्द ही किसी बॉयोलोजिकल पार्क ( biological park ) में पिंजरे में शिफ्ट किया जाएगा। यह निर्णय रविवार को सीसीएफ कार्यालय में हुई बैठक में किया गया। जिसमें वन अधिकारियों पूर्व में बाघ की जांच कमेटी के सदस्यों व एनटीसीए के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक में टी-104 के भविष्य को लेकर विस्तार से चर्चा की गई।
खुले में छोडऩे से मानव के लिए खतरा ( sawai madhopur news )

बैठक में बाघ के स्वभाव का अध्ययन करने वाली टीम के सदस्यों ने बाघ के स्वभाव को उग्र करार दिया है और बाघ को खुले में छोडऩे से मानव के लिए खतरा माना है।

रणथम्भौर में नहीं रखा जा सकता बाघ

वनाधिकारियों ने बैठक में माना की बाघ खतरनाक है और बाघ को अधिक दिनों तक एनक्लोजर में रख पाना संभव नहीं है। वहीं बाघ को खुले में भी नहीं छोड़ा जा सकता है।

एनटीसीए को भेजेंगे प्रस्ताव

बैठक में बाघ को बॉयोलोजिकल पार्क में भेजने के निर्णय के बाद इस प्रस्ताव को आगे भेजने पर बात हुई। मामले में एनटीसीए से जवाब आने व अनुमति मिलने पर ही टी-104 के संबंध में आगे की कार्रवाई की जाएगी।

21 दिनों से एनक्लोजर में बंद बाघ

वर्तमान में बाघ टी-104 भिड नाके पर दो हैक्टयार के एनक्लोजर में बंद है। बाघ को 15 सितम्बर में करौली से रेस्क्यू करने के बाद एनक्लोजर में शिफ्ट किया गया था। बाघ पिछले 21 दिनों से एनक्लोजर में बंद है। तभी यह तय हो गया था कि बाघ को अब रणथम्भौर में खुले जंगल में नहीं छोड़ा जाएगा।

इनका कहना है…

बैठक में बाघ को खतरनाक मानते हुए अन्यत्र शिफ्ट करने का फैसला किया गया है। इसके लिए हम एनटीसीए व उच्च अधिकारियों को प्रस्ताव भेजेंगे। एनटीसीए व उच्च अधिकारियों के निर्देश पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
– मनोज पाराशर, सीसीएफ, रणथम्भौर बाघ परियोजना, सवाईमाधोपुर।

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