नगर निगम आयुक्त, अभिषेक गेहलोत और गरिमा गेहलोत का कहना है कहते हैं जोड़ियां ऊपर वाला तय करता है, लेकिन गठबंधन तक की अलग कहानी होती है. ऐसी ही कुछ जोड़ियां, जो इत्तफाक से मिले या इन्हे परिवार ने मिलाया और एक दूसरे को हो गए । आयुक्त, अभिषेक गेहलोत बताते हैं कि मेरी शादी की बात लगने के बाद जब हम दोनों को बात करते हैं 2 ही दिन हुए मेरा चयन उज्जैन के जिला मजिस्ट्रेट के पद पर हो गया , तभी से मुझे लगा गरिमा मेरे जीवन का भाग्य है और मेरा प्रभार मेरे ससुराल उज्जैन का ही था, तो दिन में मैं काम करता और शाम को हम दोनों मिलते । ऐसा करते माहीन बीत गए पता ही नहीं चला और नवंबर में हमारी शादी हो गई ।आयुक्त, अभिषेक गेहलोत बताते हैं कि प्रतिकूल परिस्थितियों में व्यस्तता के बीच वह न केवल कर्म क्षेत्र में पूरा ध्यान देते हैं बल्कि परिवार और बच्चों के साथ समय बिताना नहीं भूलते।
परीक्षित के इजहार को यशश्री का इकरार कॅरियर की पहली सीढ़ी चढ़े जिला पंचायल सीईओ परीक्षित झाड़े की पोस्टिंग सतना हुई । उसके बाद उनकी जिंदगी डॉ . यशश्री झाड़े आई जो पूरी तरह से एक सामाजिक कार्यकर्ता, पशु और मानव स्वास्थ्य के लिए खुद का एनजीओ चलाती थी। काम की प्रतिस्पर्धा के दौरान दोनों के विचार मिले और आंखों ही आंखों में प्यार हो गया। विचारों के साथ धीरे-धीरे बात करते हुए दोनों एक दूसरे के साथ सहज हो गए और एक दूसरे के प्रोफेशन को समझने लगे। बस यहीं मौका देख सीईओ परीक्षित झाड़े ने प्यार का इजहार किया तो यशश्री ने इकरार किया। इस प्यार में न भाषा बाधा बनी, न ही रीति रिवाज। दोनों परिवारों ने एपीएसआई राजामंडी से हमारी शादी करा दी । शादी के बाद सीईओ परीक्षित झाड़े और डॉ .यशश्री झाड़े दंपति आज अपने करियर में सफल है। दोनों एक दूसरे के प्रेरणास्त्रोत भी हैं।
दूसरे की शादी में आंखें मिली और हुआ प्यार पढ़ाई के दौरान मुलाकात, संघर्ष के समय दोनों में प्यार और फिर खूबसूरत मंजिल को पाने के बाद शादी। यह रील नहीं बल्कि रियल लाइफ लव स्टोरी है। नगर निगम अपर आयुक्त भूपेन्द्र देव परमार और स्वाति सिंह की प्रेम कहानी काफी रोचक है । उनकी मुलाकात एक शादी के दौरान हुई थी, हालांकि दोनों को तब यह बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि दोनों विवाह के बंधन में बंध जाएंगे। मिलने के बाद हम दोनों ने सोशल मीडिया पर दोस्ती की और यह दोस्ती कब प्यार में बदल गया पता ही नहीं चला। अपर आयुक्त भूपेन्द्र देव परमार ने बताया उसके बाद परिवार को मनाना थोड़ा मुश्किल हुआ और मनाते हुए 1 साल लग गए और यूपीएससी निकलने के बाद फैमिली की सहमति से शादी का फैसला लिया। फिर दोनों परिवार की सहमती से हमारी 21 जनवरी 2020 को लव कम अरेंज मैरिज हो गई।
ट्रेन में नंबर एक्सचेंज किया और मोहब्बत चढ़ी परवान अपर कलेक्टर ऋषि पवार और राधिका पवार की मुलाकात तिरुवनंतपुरम में हुई थी, दिल्ली में एक ट्रेन में हुई जहां उनदोनो ने बात करते हुए आपस में नंबर एक्सचेंज किया , जिसके बाद दोनों की लव स्टोरी शुरू हुई । फ़िर अपर कलेक्टर ऋषि पवार दिल्ली में अपनी यूपीएससी की तैयारी के साथ-साथ टीचिंग भी करते और थोड़ा समय निकाल कर राधिका पवार से बात भी करते और हमारी दोस्ती प्यार में बदल गई ,जीवन को लेकर हमारे विचार, नजरिया और पसंद काफी मिलने लगी । जिसके चलते हमने अपने परिवार के बड़ों का आशीर्वाद लेकर शादी करने का फैसला लिया है और एक -दूसके का हाथ हमेशा के लिए थाम लिया है ।राधिका पवार बताती है की प्रशासन की बागडोर उनके हाथ में है, लेकिन जब जिंदगी और अपने साथी के साथ कैमिस्ट्री की बात आती है तो भी दोनों सही से मैनेज कर ही लेते हैं।
– सेजल कनौजिया