एक शिकायत के बाद खुली जांच रैगांव उपचुनाव के मद्देनजर अखिल भारत अनुसूचित जाति परिषद ने चुनाव आयोग को तथ्यगत शिकायत भेजी है। जिसमें कहा गया है कि प्रतिमा बागरी, धीरेन्द्र सिंह धीरू सहित अन्य ने अनुसूचित जाति की श्रेणी से नामांकन दाखिल किया है। जबकि ये लोग अनुसूचित जाति की श्रेणी में नहीं आते हैं। इनका नामांकन निरस्त करने की मांग करते हुए बताया गया है कि बागरी और बागड़ी 1977 की सूची क्रमांक 2 के अनुसार अनुसूचित जाति के रूप मान्य थी। 2007 में इसे संशोधित कर दिया गया और विन्ध्यप्रदेश में रहने वाले बागरी/बागड़ी को अनुसूचित जाति की श्रेणी से हटा दिया गया है। वर्ष 2007 के गजट नोटिफिकेशन के अनुसार अनुसूचित जाति की सूची क्रमांक 2 पर चमार अनुसूचित जाति के रूप में उल्लेखित की गई है। इसलिये विन्ध्यप्रदेश के जिला सतना में रहने वाले प्रतिमा बागरी, धीरेन्द्र सिंह धीरू व अन्य ने गलत तरीके से अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र प्राप्त किया है। लिहाजा इन्हें चुनाव लड़ने की पात्रता नहीं है।
2003 के पत्र का दिया हवाला शिकायत में आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभाग मंत्रालय के 14 जुलाई 2003 के उस पत्र का हवाला दिया गया है जो तत्कालीन प्रमुख सचिव डॉ भागीरथ प्रसाद ने सभी संभागायुक्त, सभी कलेक्टर और सभी विभागाध्यक्षों को जारी किया था। इसमें स्पष्ट कहा गया है कि म.प्र. आदिम जाति अनुसंधान तथा प्रशिक्षण संस्थान द्वारा पाया गया है कि प्रदेश के पूर्व मध्यभारत क्षेत्र में सम्मिलित जिलों में निवास करने वाले बागरी/बागड़ी समाज के व्यक्ति अनुसूचित जाति में रखे जाने की पात्रता रखते हैं। प्रदेश के अन्य क्षेत्रों जैसे महाकौशल, बुंदेलखंड, विन्ध्यप्रदेश क्षेत्रों में सामान्यत: बागरी कहलाने वाले व्यक्ति अनुसूचित जाति में सम्मिलित होने की पात्रता नहीं रखते हैं। सामान्य प्रशासन विभाग ने दिये जांच के आदेशनिर्वाचन आयोग से प्राप्त हुई इस शिकायत को सामान्य प्रशासन विभाग ने गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी से इस मामले की जांच कर विस्तृत प्रतिवेदन चाहा है।