सतना

बकिया बांध: फिर बाहर निकला बकिया बराज के डूब क्षेत्र से वंचित जमीन का जिन्न

कलेक्टर ने जमीन वापसी प्रक्रिया प्रारंभ करने के जारी किए निर्देश, कई जमीनों के बारिसों का पता नहीं तो कुछ की जमीनों के दस्तावेज गायब

सतनाOct 19, 2019 / 04:32 pm

suresh mishra

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सतना/ रामपुर बाघेलान तहसील अंतर्गत ग्राम बकिया में बनाए गए बैराज की ऊंचाई राजनीतिक आंदोलन की वजह से कम कर दी गई थी। नतीजा यह हुआ कि बांध विद्युत उत्पादन की अपनी उपयोगिता में फेल हो गया। साथ ही काफी बड़ा भू-भाग डूब से वंचित हो गया। ऐसे में डूब से वंचित इन जमीनों को संबंधित किसानों की मांग पर शासन ने इसकी वापसी का निर्णय लिया। लेकिन पांच साल से यह मामला सरकारी लाल फीता-शाही में फंसा चला आ रहा है।
हालांकि शासन-प्रशासन का एक बड़ा तबका जलाशय के लिए अधिग्रहीत जमीन की वापसी के पक्ष में नहीं है, लेकिन राजनीतिक दबाव में चुनाव के दौरान यह काम शुरू हुआ भी था और कुछ लोगों को ऋण पुस्तिकाएं बांटी गई थीं, लेकिन उनमें संबंधितों के नाम नहीं थे। इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। अब एक बार फिर कलेक्टर ने इस मामले को जिंदा किया है। बताया गया है कि कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट सतेन्द्र सिंह ने अनुविभागीय अधिकारी एवं भू-अर्जन अधिकारी रामपुर बाघेलान को निर्देश जारी किए हैं कि डूब क्षेत्र से बाहर किसानों की भूमि को वापस किया जाना है।
शिवराज सरकार ने की थी जमीन वापसी की घोषणा
बकिया बराज बांध का जब निर्माण किया गया था, उस समय इसकी उंचाई 282 मीटर थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने इस बांध की उंचाई 2 मीटर घटाई थी। इससे 44 गांव डूब क्षेत्र से बाहर हो गए थे। इन ग्रामों में गढवा कला, गढवा खुर्द, खोहर, रेंहुटा, गजिगवां, किचवरिया, इटौर, गोलहटा, थथौरा, अतरहार, पिपराछा, लौलाछ, बकिया बैलो, कंदवा, घटबेलवा तथा मझियार सहित अन्य ग्राम शामिल हैं। इन ग्रामों के किसानों की जमीनें अधिग्रहित कर मुआवजा का वितरण भी किया गया था। किसानों की जमीनें डूब में नहीं आने पर जमीनें वापस दिलाने की सतत मांग की जा रही थी। 2011 में किसानों की जमीनों को वापस करने का निर्णय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने लिया था। सांसद की मौजूदगी में सतना जिले में उन्होंने यह घोषणा की थी। अब कांग्रेस शासन में शिवराज का निर्णय पूरा करने की तैयारी कर ली गई है।
कई गफलत हैं मामले में
बताया गया है कि इस जमीन का अर्जन दो तरीके से किया गया है। सबसे पहले जमीन रजिस्ट्री के माध्यम से ली गई थी। बाद में इनका भू-अर्जन आरबीसी नियमों के तहत किया गया। ऐसे में रजिस्ट्री वाली जमीनों की वापसी किस तरह होगी इसका निर्णय नहीं हो सका है। इसके अलावा बहुत सी जमीनें ऐसी हैं, जो अर्जन के बाद भी नामांतरित नहीं हुई थी। डूब से अप्रभावित ऐसी जमीनों को संबंधित भू-स्वामियों ने दूसरों को बेच दिया है। इस स्थिति में जमीन वापसी किसे होगी, इस पर भी निर्णय लिया जाना शेष है।
15 दिन में अभिलेख दुरुस्त कराने के निर्देश
कलेक्टर के आदेश के अनुसार लगान एवं भू-राजस्व आदि का निर्धारण कर राजस्व अभिलेख दुरुस्त कराया जाना है। 15 दिन का समय दिया गया है।

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