फिर भी गोवा को भारत में विलय होने की इबारत लिख दी। साथ ही पुर्तगालियों को भागने पर विवश कर दिया। गोवा आंदोलन में विजयी होने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें वीरांगना कहकर संबोधित किया। नेहरू ने उन्हे संसद सदस्य बनाने हेतु सागर से सांसद का टिकट दिया और वे भारी मतों से विजयी होकर सांसद बनी। वे 1957 से 1981 तक चार बार संसद सदस्य रहीं। 1979 से उनकी मृत्यु हो गई।