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सतना

किसानों की आय बढ़ाने मध्यप्रदेश में बनेंगे स्पेशल एग्रीकल्चर जोन

सतना में बनेगा अरहर का विशेष कृषि प्रक्षेत्र, यहां मंडी शुल्क फ्री रहेगा, 200 से 500 हैक्टेयर का होगा विशेष कृषि प्रक्षेत्र, कृषि जलवायु क्षेत्र के आधार पर 12 फसलों के बनेंगे प्रक्षेत्र

सतनाMar 03, 2019 / 07:37 pm

Ramashankar Sharma

Agricultural zone

Agricultural zone

सतना. प्रदेश सरकार कृषि सुविधाओं में इजाफा देने सहित किसानों का फसल क्रय विक्रय आसान बनाने प्रदेश में 12 फसलों के लिए स्पेशल एग्रीकल्चर जोन बनाने की तैयारी कर रही है। इस संबंध में सभी जिलों के उपसंचालकों को विशेष कृषि प्रक्षेत्र स्थापना के लिये तैयारी करने कहा गया है। इन कृषि प्रक्षेत्रों का निर्धारण कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुरूप किया जा रहा है। सतना जिले में अरहर की फसल के लिये स्पेशल एग्रीकल्चर जोन बनाया जाना है। इन प्रक्षेत्रों में मंडी शुल्क फ्री रहेगा। मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार किसानों का फसल उत्पादन और उनकी आय में बढ़ोत्तरी करने के लिये प्रदेश को 12 कृषि जलवायु क्षेत्रों में बांटा है। इसमें उपलब्ध संसाधनों और प्रचलित जलवायु परिस्थितियों से उत्पादन को अधिकतम किये जाने की कार्ययोजना तैयार की जा रही है। इसके तहत आवश्यकता और स्थान आधारित विशिष्ट तकनीकि अपना कर किसानों का फसल उत्पादन बढ़ाने के साथ ही उनकी फसलों को उचित बाजार मुहैया कराया जाएगा। मिट्टी, पानी, वर्षा, तापमान आदि आधार पर प्रदेश में 12 कृषि जलवायु क्षेत्र निर्धारित किये गए हैं। इन्ही के आधार पर अलग अलग फसलों के लिये स्पेशल एग्रीकल्चर जोन (विशेष कृषि प्रक्षेत्र) का निर्धारण किया गया है। इस संबंध में बताया गया है कि फसल की अनुकूलता के आधार पर बनाए गए स्पेशल एग्रीकल्चर जोन में किसानों को कई सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। जिसमें सबसे बड़ी सुविधा इन्हें मंडी शुल्क से राहत की होगी। यहां मंडी शुल्क फ्री रहेगा।
200 से 500 हैक्टेयर का होगा प्रक्षेत्र

बताया गया है कि स्पेशल एग्रीकल्चर जोन की स्थापना के लिये प्रदेश के सभी जिलों में 200 से 500 हैक्टेयर के प्रक्षेत्र चिन्हित किए जाएंगे। यहां किसानों को एक ही स्थान पर कृषि उपकरण, सिंचाई, विद्युत, बीजोपचार, मिट्टी परीक्षण, भण्डारण की सुविधा रहेगी। यहां किसानों की फसलों के क्रय विक्रय की सुविधा भी रहेगी और देश की विभिन्न मंडियों से लिंक किये जाने की भी व्यवस्था होगी तो निर्यात जैसी व्यवस्थाएं भी प्रदान करने की सुविधा पर विचार किया जा रहा है।
कृषि विश्वविद्यालयों का रहेगा समन्वय

बताया गया है कि जिला स्तर पर उप संचालकों को निर्देशित किया गया है कि इस संबंध में जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर, राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर, संचालक एटीएआरआई जबलपुर सहित सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिकों के साथ समन्वय स्थापित कर विशेष कृषि प्रक्षेत्र की स्थापना की जाएगी।
यह होंगे स्पेशल एग्रीकल्चर जोन

धान की फसल के स्पेशल एग्रीकल्चर जोन के लिये जिन जिलों को चुना गया है उनमें बालाघाट, जबलपुर, रीवा और रायसेन शामिल है। सोयाबीन के लिये मंदसौर, नीमच, उज्जैन, शाजापुर, देवास, सिहोर, विदिशा, भोपाल और हरदा को शामिल किया गया है। गेहूं के लिए विदिशा, सिहोर, रायसेन और भोपाल शामिल हैं। चना के लिए सागर, उज्जैन, देवास और शाजापुर को जोड़ा गया है तो अरहर की फसल के लिये जिन जिलों में विशेष कृषि प्रक्षेत्र स्थापित किया जाना है उनमें दमोह, पन्ना, छतरपुर, सतना, होशंगाबाद, नरसिंहपुर, टीकमगढ़, दयिता और सागर शामिल हैं। गन्ना के स्पेशल एग्रीकल्चर जोन नरसिंहपुर, होशंगाबाद, बैतूल और ग्वालियर, कपास के खंडवा, खरगोन, बड़वानी, धार और झाबुआ, सरसों के स्पेशल एग्रीकल्चर जोन ग्वालियर, भिंड, मुरेना, शिवपुरी में बनेंगे। लघु धान्य फसल के लिये जिन जिलों में विशेष कृषि प्रक्षेत्र बनाया जाना है उनमें मंडला, डिंडौरी, शहडोल, अनूपपुर, सीधी और सिंगरौली शामिल हैं। जैविक खेती के लिये डिंडौरी, मंडला, शहडोल, अनूपपुर और सीधी शामिल हैं। हरी मटर के लिये जबलपुर, नरसिंहपुर और कटनी में विशेष कृषि प्रक्षेत्र स्थापित किया जाएगा।
फसल और उनके कृषि जलवायु क्षेत्र

स्पेशल एग्रीकल्चर जोन – कृषि जलवायु क्षेत्र

धान – छत्तीसगढ़ प्लेन, नार्दन हिल्स रीजन ऑफ छत्तीसगढ़, विन्ध्य प्लेट्यू, कैमूर प्लेट्यू एंड सतपुड़ा हिल्स

सोयाबीन- मालवा, विन्ध्य प्लेट्यू एवं सेन्ट्रल नर्मदा वैली
गेहूं – विन्ध्य प्लेट्यू, सेन्ट्रल नर्मदा वैली

चना- विन्ध्य प्लेट्यू, मालवा

गन्ना – सेन्ट्रल नर्मदा वैली, सतपुड़ा प्लेट्यू

मक्का – सतपुड़ा प्लेट्यू

अरहर – बुंदेलखण्ड, सेन्ट्रल नर्मदा वैली, कैमूर प्लेट्यू, विन्ध्य प्लेट्यू
कपास- निमाड़ प्लेन, मालवा, झाबुला की पहाड़ी

सरसों – गिर्द जोन

लघु धान्य फसल – नार्दन हिल रीजन ऑफ छत्तीसगढ़

जैविक खेती – नार्दन हिल रीजन ऑफ छत्तीसगढ़

हरी मटर – कैमूर प्लेट्यू एवं सतपुड़ा हिल्स
संचालक द्वारा इस संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं। विशेष कृषि प्रक्षेत्र स्थापना के लिये संबंधित विश्वविद्यालय से संपर्क किया जा रहा है।

आरएस शर्मा, उप संचालक कृषि

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