हद तो यह रही कि आनंद के गांव में तत्कालीन खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री एवं जिले के प्रभारी मंत्री ओपी धुर्वे दिनभर रहे और उन्हें भी आनंद के पिता ने आवेदन दिया, इसके बाद भी उसे दो जून का राशन देने पात्रता पर्ची नहीं बनाई जा सकी। पिंडरा के सचिव रमेश यादव भी इसकी पुष्टि कर रहे हैं कि आनंद के पिता लाल कोल ने बीपीएल राशन कार्ड बनवाने और पात्रता पर्ची के लिए आवेदन दिया था। लेकिन वे आवेदन तहसील कार्यालय में पहुंचकर धूल खाते रहे।
हालांकि आनंद की मौत का मामला केन्द्र सरकार के संज्ञान में आने के बाद अब सरकारी अमला सक्रिय हुआ है और उसका हाल ही में बीपीएल नंबर जनरेट करवा दिया गया है। राशन दुकान से बिना कार्ड के भी उसे खाद्यान्न दे दिया गया। सवाल यह खड़ा हो गया है कि अगर यही सक्रियता पहले इस गरीब परिवार के लिये दिखाई गई होती तो आज आनंद जिंदा होता।
माता-पिता भी बीमार
जिला अस्पताल में 17 सितंबर को अतिकुपोषित आनंद कोल को लाया गया लेकिन उसकी मौत हो गई। यहां आनंद के पिता ने बताया कि उनके घर में खाने को राशन तक नहीं था। उनकी तबीयत टीबी की वजह से खराब है और पत्नी भी बीमार है। लिहाजा काम करने की स्थिति भी नहीं थी। परिवार भूख से परेशान था तो बच्चों को भी भरपेट खाने को नहीं मिल रहा था। आंगनबाड़ी से एक सप्ताह में जो पैकेट मिल रहा था वह पर्याप्त नहीं था, जिससे आनंद की तबीयत लगातार खराब होती चली गई।
जिला अस्पताल में 17 सितंबर को अतिकुपोषित आनंद कोल को लाया गया लेकिन उसकी मौत हो गई। यहां आनंद के पिता ने बताया कि उनके घर में खाने को राशन तक नहीं था। उनकी तबीयत टीबी की वजह से खराब है और पत्नी भी बीमार है। लिहाजा काम करने की स्थिति भी नहीं थी। परिवार भूख से परेशान था तो बच्चों को भी भरपेट खाने को नहीं मिल रहा था। आंगनबाड़ी से एक सप्ताह में जो पैकेट मिल रहा था वह पर्याप्त नहीं था, जिससे आनंद की तबीयत लगातार खराब होती चली गई।
मंत्री ने दिए थे निर्देश
कुपोषण के लिए कुख्यात मझगवां के पिंडरा में लगाई गई सभा में तत्कालीन मंत्री ओपी धुर्वे ने खाद्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि यहां कैम्प लगाकर पात्र लोगों के नाम जुड़वाए जाएं और उन्हें पात्रता पर्ची दिलवाई जाए। लेकिन खाद्य विभाग ने अपना पल्ला झाड़ते हुए जनपद को यह काम सौंप दिया और जनपद ने राजस्व तक रेकार्ड पहुंचा कर अपनी इतिश्री कर ली। हकीकत यह रही कि पात्रों को पात्रता पर्ची नहीं मिल सकी।
कुपोषण के लिए कुख्यात मझगवां के पिंडरा में लगाई गई सभा में तत्कालीन मंत्री ओपी धुर्वे ने खाद्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि यहां कैम्प लगाकर पात्र लोगों के नाम जुड़वाए जाएं और उन्हें पात्रता पर्ची दिलवाई जाए। लेकिन खाद्य विभाग ने अपना पल्ला झाड़ते हुए जनपद को यह काम सौंप दिया और जनपद ने राजस्व तक रेकार्ड पहुंचा कर अपनी इतिश्री कर ली। हकीकत यह रही कि पात्रों को पात्रता पर्ची नहीं मिल सकी।
मंत्री से अधिकारी तक लगाए चक्कर
आनंद के पिता लाल कोल ने बताया कि जब तत्कालीन मंत्री धुर्वे उनके गांव में पूरा दिन गुजारे थे तब भी बीपीएल राशन कार्ड और पात्रता पर्ची के लिए आवेदन दिया। इसके बाद लगे कैम्प में भी आवेदन दिया। सचिव भी साथ में रहा। लेकिन कुछ नहीं हुआ। कोई सुनने वाला नहीं था। कई बार दफ्तरों के चक्कर भी लगाए लेकिन कुछ नहीं हुआ और परिवार दाने-दाने को मोहताज हो गया।
आनंद के पिता लाल कोल ने बताया कि जब तत्कालीन मंत्री धुर्वे उनके गांव में पूरा दिन गुजारे थे तब भी बीपीएल राशन कार्ड और पात्रता पर्ची के लिए आवेदन दिया। इसके बाद लगे कैम्प में भी आवेदन दिया। सचिव भी साथ में रहा। लेकिन कुछ नहीं हुआ। कोई सुनने वाला नहीं था। कई बार दफ्तरों के चक्कर भी लगाए लेकिन कुछ नहीं हुआ और परिवार दाने-दाने को मोहताज हो गया।
एसडीएम पहुंचे जांच करने
इधर पत्रिका में मामला उठने के बाद एसडीएम मझगवां ओम नारायण सिंह अपने अमले के साथ पिंडरा लाल कोल के यहां पहुंचे। उनके साथ फूड और महिला बाल विकास का अमला साथ रहा। उन्होंने परिवार की स्थिति देखते हुए बिना कार्ड के भी खाद्यान्न की व्यवस्था करवाई। अभी भी परिवार का बीपीएल कार्ड नहीं बना है यह जरूर हो गया है कि उसका बीपीएल नंबर जनरेट हो गया है।
इधर पत्रिका में मामला उठने के बाद एसडीएम मझगवां ओम नारायण सिंह अपने अमले के साथ पिंडरा लाल कोल के यहां पहुंचे। उनके साथ फूड और महिला बाल विकास का अमला साथ रहा। उन्होंने परिवार की स्थिति देखते हुए बिना कार्ड के भी खाद्यान्न की व्यवस्था करवाई। अभी भी परिवार का बीपीएल कार्ड नहीं बना है यह जरूर हो गया है कि उसका बीपीएल नंबर जनरेट हो गया है।
टाल रहे मामला
जब भारत सरकार ने राज्य से इस मौत का जवाब मांगा तो सभी विभाग इसमें अपना पल्ला झाडऩे में लगे हैं और दूसरे पर दोष थोप रहे हैं। लेकिन हकीकत यह है कि आनंद की मौत के लिये राशन कार्ड और पात्रता पर्ची बनाने से संबंधी सभई विभागों के आला अधिकारी दोषी है। अगल उन्होंने गंभीरता बरती होती और मामलों का रिव्यू किया होता तो पात्र व्यक्ति अपने हक से वंचित नहीं होती। इसमें पंचायत एवं ग्रामीण विकास जिसका जिम्मा समग्र आईडी जनरेट करना और आवेदन स्वीकार करने का जिम्मा है, राजस्व विभाग जिसका काम पात्र व्यक्ति का बीपीएल कार्ड बनाना है और फूड विभाग जिसका काम पात्र व्यक्ति की पहचान कर उसे खाद्यान्न उपलब्ध कराना है सभी फेल रहे। लिहाजा मौत के दोषी ये सभी हैं।
जब भारत सरकार ने राज्य से इस मौत का जवाब मांगा तो सभी विभाग इसमें अपना पल्ला झाडऩे में लगे हैं और दूसरे पर दोष थोप रहे हैं। लेकिन हकीकत यह है कि आनंद की मौत के लिये राशन कार्ड और पात्रता पर्ची बनाने से संबंधी सभई विभागों के आला अधिकारी दोषी है। अगल उन्होंने गंभीरता बरती होती और मामलों का रिव्यू किया होता तो पात्र व्यक्ति अपने हक से वंचित नहीं होती। इसमें पंचायत एवं ग्रामीण विकास जिसका जिम्मा समग्र आईडी जनरेट करना और आवेदन स्वीकार करने का जिम्मा है, राजस्व विभाग जिसका काम पात्र व्यक्ति का बीपीएल कार्ड बनाना है और फूड विभाग जिसका काम पात्र व्यक्ति की पहचान कर उसे खाद्यान्न उपलब्ध कराना है सभी फेल रहे। लिहाजा मौत के दोषी ये सभी हैं।
इस मामले में जांच चल रही है। सभी संबंधित विभागों से प्रतिवेदन भी चाहा गया है। उसके अनुरूप आगे की कार्रवाई कर प्रतिवेदन कलेक्टर को सौंपा जाएगा।
ओम नारायण सिंह, एसडीएम
ओम नारायण सिंह, एसडीएम