ये पूरा खेल आबकारी व पुलिस के मिलीभगत से कई वर्षों से चल रहा था। गत 2 जनवरी को संजय शुक्ला नाम के समाजसेवी धरने पर बैठ गए थे। उनकी मांग थी कि क्षेत्र में अवैध शराब बिक्री पर लगाम लगाई जाए। मामला संज्ञान में आने के बाद कलेक्टर व एडीएम मौके पर पहुंचे थे और कार्रवाई के आश्वासन पर अनशन तोड़वाया था।
इसी संदर्भ में शनिवार को एसडीएम मझगवां ओम नारायण सिंह बिरसिंहपुर पहुंचे। उसके बाद तहसीलदार मनीष पांडेय और सभापुर थाना प्रभारी एएसआई केके द्विवेदी व पुलिस बल के साथ दबिश दे दी। मौके पर टीम के पहुंचने से पहले ही आरोपी दुकान में ताला लगाकर फरार हो गए थे। ताला तोड़वाया गया और कार्रवाई की गई।
आरोपी अज्ञात
हैरान करने वाली बात ये है कि पूरी कार्रवाई में आरोपी अज्ञात हैं। जबकि आस-पास का पूरा क्षेत्र जानता है कि उमेश गुप्ता, वीरेंद्र शुक्ला व मुकेश सेन कारोबार को करते हैं। इसमें से उमेश एक चुने हुए जनप्रतिनिधि भी है। राजनीति आकाओं के बल पर पूरा कारोबार चलता है।
हैरान करने वाली बात ये है कि पूरी कार्रवाई में आरोपी अज्ञात हैं। जबकि आस-पास का पूरा क्षेत्र जानता है कि उमेश गुप्ता, वीरेंद्र शुक्ला व मुकेश सेन कारोबार को करते हैं। इसमें से उमेश एक चुने हुए जनप्रतिनिधि भी है। राजनीति आकाओं के बल पर पूरा कारोबार चलता है।
कार्रवाई पर सवाल
संयुक्त कार्रवाई शुरू होने से पहले ही मुखबिरी हो गई। इसका फायदा उठाकर आरोपी दुकान में ताला लगाकार फरार हो गए। वहीं मौके पर कुल 120 पाव शराब जब्त की गई। सूत्र बताते हैं कि आरोपियों ने जानबुझकर ऐसा किया। उन्होंने इस बात का ध्यान रखा कि मौके पर 50 लीटर से ज्यादा शराब उपलब्ध न हो। अगर, ऐसा पाया जाता, तो आबकारी एक्ट की धारा 32 (2) के तहत कार्रवाई होती। इसमें तत्काल जमानत नहीं मिलती है।
संयुक्त कार्रवाई शुरू होने से पहले ही मुखबिरी हो गई। इसका फायदा उठाकर आरोपी दुकान में ताला लगाकार फरार हो गए। वहीं मौके पर कुल 120 पाव शराब जब्त की गई। सूत्र बताते हैं कि आरोपियों ने जानबुझकर ऐसा किया। उन्होंने इस बात का ध्यान रखा कि मौके पर 50 लीटर से ज्यादा शराब उपलब्ध न हो। अगर, ऐसा पाया जाता, तो आबकारी एक्ट की धारा 32 (2) के तहत कार्रवाई होती। इसमें तत्काल जमानत नहीं मिलती है।
पहले कार्रवाई क्यों नहीं?
जब ये कारोबार वर्षों से हो रहा था। तो स्थानीय अधिकारियों ने पहले कार्रवाई क्यों नहीं की? स्थानीय स्तर पर शिकायतें को नजरअंदाज क्यों किया गया? निजीलाभ लेने वाले अधिकारियों को राहत क्यों दी गई। ऐसे कई सवाल है, जो चर्चा का विषय बने हुए हैं।
जब ये कारोबार वर्षों से हो रहा था। तो स्थानीय अधिकारियों ने पहले कार्रवाई क्यों नहीं की? स्थानीय स्तर पर शिकायतें को नजरअंदाज क्यों किया गया? निजीलाभ लेने वाले अधिकारियों को राहत क्यों दी गई। ऐसे कई सवाल है, जो चर्चा का विषय बने हुए हैं।
120 पाव शराब जब्त
ताला तोडऩे के बाद जब टीम ने अंदर प्रवेश किया। तो सन्नाटा पसरा हुआ था। एक कोने में कार्टून में शराब छुपाकर रखी हुई थी। टीम ने मौके से 120 पाव शराब जब्त किया। साथ ही काउंटर से 850 रुपए नगद भी जब्त किया गया।
ताला तोडऩे के बाद जब टीम ने अंदर प्रवेश किया। तो सन्नाटा पसरा हुआ था। एक कोने में कार्टून में शराब छुपाकर रखी हुई थी। टीम ने मौके से 120 पाव शराब जब्त किया। साथ ही काउंटर से 850 रुपए नगद भी जब्त किया गया।