रेलवे अधिकारियों ने बताया, शौचालय प्लेटफॉर्म के अतिम छोर पर है। वहां अक्सर नशेडि़यों का मजमा लगता था। महिलाओं के साथ किसी अप्रिय घटना की आशंका के चलते अस्थाई तौर पर बंद कर दिया गया। हैरानी की बात यह भी है कि स्टेशन पर हर वक्त आरपीएफ मौजूद रहती है, लेकिन स्टेशन प्रबंधन ने शौचालय में मजमा लगाने वाले असामाजिक तत्वों पर सख्ती के लिए कभी रेल पुलिस की मदद नहीं मांगी।
शौचालय बंद होने से यात्रियों को परेशानी हो रही है। प्लेटफॉर्म 2-3 पर रोजाना आधा सैकड़ा से ज्यादा गाडि़यां आती-जाती हैं। हर वक्त यहां सैकड़ों यात्री ट्रेन के इंतजार में बैठते हैं। जबलपुर छोर का महिला-पुरुष शौचालय बंद कर दिए जाने से दो प्लेटफॉर्म के यात्रियों के लिए दूसरा कोई टॉयलेट नहीं है। इन दो प्लेटफॉर्म के लिए इलाहाबाद छोर पर सिर्फ महिला-पुरुष यूरीनल बना हुआ है। शौच करने यात्रियों को प्लेटफॉर्म एक तक जाना पड़ता है।
प्लेटफॉर्म 2-3 के जबलपुर छोर पर बने शौचालय को स्टेशन प्रबंधन द्वारा कई बार खोला व बंद किया गया। यात्रियों की मांग पर कुछ दिन शौचालय खुलता, लेकिन शराब की खाली बोतले व दूसरी आपत्तिजनक सामग्री मिलते ही प्रबंधन द्वारा ताला डाल दिया जाता। बीते कई माह से जब से इसे बंद किया गया, तब से आज तक नहीं खुला।
शौचालय प्लेटफॉर्म के अंतिम छोर पर शेड से काफी दूर है। इसका उपयोग होने की बजाय दुरुपयोग हो रहा था। असामाजिक तत्व यहां अनैतिक कार्य करते थे। कई बार शराब की खाली बोतलें व अन्य सामान मिले। इसलिए सुरक्षा के लिहाज से शौचालय को अस्थाई रूप से बंद किया गया है।
एमआर मीना, स्टेशन अधीक्षक