वहीं आम व्यक्ति को अगर घर से 100 मीटर तक चलना पड़े, तो सड़के के गड्ढे उसे कितने झटके देंगे। ये उदाहरण साबित करते हैं कि कहीं न कहीं गड़बड़ी हो रही है। जिसे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। विचार करने की जरूरत है, आखिर अधिकारी जिन मार्गों से कार्यालय पहुंचते हैं, वे शानदार क्यों हैं और आम व्यक्ति का जीवन गड्ढ़े में हिचकोले क्यों खा रहा है? ये सच्चाई है, अधिकारियों के अधिनस्थ कर्मचारी उनके सुख-सुविधा को लेकर जितने गंभीर रहते हैं, उतने गंभीर आम व्यक्ति की समस्याओं को लेकर नहीं है।
पत्रिका पड़ताल में पता चला कि सेमरिया चौक से सर्किट हाउस के बीच महज 2 किमी. का दूरी है। जहां अप साइड में करीब 40 छोटे बड़े गड्ढे है। वहीं डाउन मार्ग में तकरीबन 60 ऐसे गड्ढे है जो जानलेवा साबित हो रहे है। पार्क होटल के सामने तो बड़ी ही भयावह स्थितियां है। यहां एक ही जगह दो दर्जन ऐसे गड्ढे जिनमे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। वहीं अगर सिविल लाइन से कलेक्ट्रट रोड की बात करें तो यहां की सड़कें चकाचक है। बनीं भी क्यों न रहे क्योंकि मातहत अधिकारियों का दिनभर आना-जाना जो है।
आदर्श स्कॉट लैंड रोड
सिविल लाइन स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा से कलेक्ट्रट कार्यालय की सड़क को स्कॉटलैंड कहा जाता है। जो शहर की आदर्श सड़क मानी जाती है। इसकी दूरी करीब 2.4 किमी. है। शहर की असली साफ-सफाई और स्वच्छता की झलक इसी सड़क पर दिखती है। यहां सड़कों के बीचों बीच हरियाली का मनोरम दृश्य दिखता है। सड़क के दोनों तरफ डिवाइडर और बढिय़ा फुटपाथ बना हुआ है। कई जगहों पर बनीं दीवार पेंटिग लोगों को आकर्षित करती है। चकाचक सड़कों के कारण अधिकारियों की गाडिय़ां फर्राटे मारते हुए निकल जाती हैं। दादा सुखेन्द्र सिंह स्टेडियम के पास स्मार्ट सिटी की झकल दिखाई देती है। सुबह-शाम व्यायाम के लिए ये पथ नजीर बन रहा है।
सिविल लाइन स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा से कलेक्ट्रट कार्यालय की सड़क को स्कॉटलैंड कहा जाता है। जो शहर की आदर्श सड़क मानी जाती है। इसकी दूरी करीब 2.4 किमी. है। शहर की असली साफ-सफाई और स्वच्छता की झलक इसी सड़क पर दिखती है। यहां सड़कों के बीचों बीच हरियाली का मनोरम दृश्य दिखता है। सड़क के दोनों तरफ डिवाइडर और बढिय़ा फुटपाथ बना हुआ है। कई जगहों पर बनीं दीवार पेंटिग लोगों को आकर्षित करती है। चकाचक सड़कों के कारण अधिकारियों की गाडिय़ां फर्राटे मारते हुए निकल जाती हैं। दादा सुखेन्द्र सिंह स्टेडियम के पास स्मार्ट सिटी की झकल दिखाई देती है। सुबह-शाम व्यायाम के लिए ये पथ नजीर बन रहा है।
निवास: सिविल लाइन
कार्यालय: कलेक्ट्रेट-धवारी चौराहा
निवास-कार्यालय दूरी- 2 किमी.
सड़क की स्थिति: निवास से कार्यालय जाने के बीच में कहीं भी सड़क बदहाल नहीं। कलेक्ट्रेट रोड पर गड्ढे खोजना मुश्किल। सिविल लाइन निवास के आस-पास की सड़कें भी शानदार।
केस-2. अधिकारी: निगमायुक्त
निवास: सिविल लाइन
कार्यालय: सर्किट हाउस के पास
निवास-कार्यालय दूरी- 1 किमी.
सड़क की स्थिति: सिविल लाइन निवास के आस-पास की सड़कें भी शानदार। ओवर ब्रिज की सड़क भी सामान्य स्थिति में। मात्र सर्किट हाउस से निगम दफ्तर की 50 मीटर सड़क बदहाल।
निवास: सिविल लाइन
कार्यालय: सर्किट हाउस के पास
निवास-कार्यालय दूरी- 1 किमी.
सड़क की स्थिति: सिविल लाइन निवास के आस-पास की सड़कें भी शानदार। ओवर ब्रिज की सड़क भी सामान्य स्थिति में। मात्र सर्किट हाउस से निगम दफ्तर की 50 मीटर सड़क बदहाल।
केस-3. अधिकारी: एसपी
निवास: सिविल लाइन
कार्यालय: सिविल लाइन
निवास-कार्यालय दूरी- 500 मीटर
सड़क की स्थिति: निवास व कार्यालय के आस-पास की पूरी सड़क शानदार। सड़क में एक गड्ढे खोजना मुश्किल। वहीं एसपी साहब घर से निकले, तो पुलिस व्यवस्था पहले ही बेहतर कर देती है।
निवास: सिविल लाइन
कार्यालय: सिविल लाइन
निवास-कार्यालय दूरी- 500 मीटर
सड़क की स्थिति: निवास व कार्यालय के आस-पास की पूरी सड़क शानदार। सड़क में एक गड्ढे खोजना मुश्किल। वहीं एसपी साहब घर से निकले, तो पुलिस व्यवस्था पहले ही बेहतर कर देती है।
केस-4. अधिकारी: कोई नहीं, केवल आम नागरिक
निवास: पूरा शहर
कार्यालय: शहर के व्यापारिक प्रतिष्ठान
निवास- औसतन हर व्यक्ति 1-2 किमी दूरी तय करता
सड़क की स्थिति: केवल रीवा रोड के एक हिस्से की बात करें, तो सेमरिया चौराहे से सर्किट हाउस की दूरी करीब डेढ़ किमी है। इस सड़क पर चौराहे से लेकर बस स्टैंड तक कदम दर कदम गड्ढे हैं। अगर, बड़े गड्ढों की बात करें, तो दोनो तरफ से 100 से ज्यादा गड्ढे हैं।
निवास: पूरा शहर
कार्यालय: शहर के व्यापारिक प्रतिष्ठान
निवास- औसतन हर व्यक्ति 1-2 किमी दूरी तय करता
सड़क की स्थिति: केवल रीवा रोड के एक हिस्से की बात करें, तो सेमरिया चौराहे से सर्किट हाउस की दूरी करीब डेढ़ किमी है। इस सड़क पर चौराहे से लेकर बस स्टैंड तक कदम दर कदम गड्ढे हैं। अगर, बड़े गड्ढों की बात करें, तो दोनो तरफ से 100 से ज्यादा गड्ढे हैं।
शहर के अंदर बनीं सड़कों को लेकर जिला प्रशासन वाकई दोहरा रवैया अपना रहा है। जिन मार्गों से अधिकारी दिन-रात गुजरते है वहां की सड़कें चकाचक है। जबकि आम राहगीरों के लिए बनाई गई सड़कों में जगह-जगह मौत के गड्ढे बने हुए है। शहर के अंदर आम आदमियों के लिए बनाए गए कोई मार्ग चलने लायक नहीं बचे है।
समर सिंह बघेल, सामाजिक कार्यकर्ता
समर सिंह बघेल, सामाजिक कार्यकर्ता
रीवा रोड में सिर्फ धूल-धुआं ही है। यहां से आना-जाना मौत से सामना करना है। सीएम स्कूल और पार्क होटल के पास कई जानलेवा गड्ढे है। हर पल इस मार्ग पर बड़े हादसे की आशंका बनी रहती है।
राकेश तिवारी, व्यापारी
राकेश तिवारी, व्यापारी
फ्लाई ओवर के दोनों तरफ निकलना मुश्किल है। एकता टॉवर के सामने कई जानलेवा गड्ढे बने हुए है। इन गड्ढों के कारण डस्ट और धूल का गुब्बार उठता है। काले कपड़े सफेद हो जाते है। वहीं सफेद कपड़े काले हो जाते है।
आशीष सेन, श्रमिक
आशीष सेन, श्रमिक