प्रशंसकों के लिए लिखी ये बात
बता दें कि, माउंट एल्ब्रुस पर चढऩे के बाद अपने प्रशंसकों के लिए रत्नेश ने एफबी पेज में पोस्ट किया है। पोस्ट में कहा, श्री हनुमान जी की कृपा और आप सभी के प्यार और दुआओं की बदौलत मैंने यूरोप के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर- माउंट एल्ब्रुस फतेह कर लिया। दो बार सफलता पूर्वक चढ़ाई की। जिसमें माउंट एल्ब्रुस की पूर्वी और पश्चिमी शिखर दोनों में तिरंगा लहराया। पहले उत्तर की तकनीकी चढ़ाई चढ़ कर दक्षिण और फिर दक्षिण से उत्तर का सफर पूरा किया है। हमेशा की तरह मेरा यही विश्वास है कि थोड़ी मेहनत मेरे हांथ की, बाकी कृपा भोलेनाथ की।
बता दें कि, माउंट एल्ब्रुस पर चढऩे के बाद अपने प्रशंसकों के लिए रत्नेश ने एफबी पेज में पोस्ट किया है। पोस्ट में कहा, श्री हनुमान जी की कृपा और आप सभी के प्यार और दुआओं की बदौलत मैंने यूरोप के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर- माउंट एल्ब्रुस फतेह कर लिया। दो बार सफलता पूर्वक चढ़ाई की। जिसमें माउंट एल्ब्रुस की पूर्वी और पश्चिमी शिखर दोनों में तिरंगा लहराया। पहले उत्तर की तकनीकी चढ़ाई चढ़ कर दक्षिण और फिर दक्षिण से उत्तर का सफर पूरा किया है। हमेशा की तरह मेरा यही विश्वास है कि थोड़ी मेहनत मेरे हांथ की, बाकी कृपा भोलेनाथ की।
पत्रिका चेंजमेकर से जुड़े
पर्वतारोही रत्नेश पाण्डेय दो महीने पहले सतना आए थे। पत्रिका चेंजमेकर अभियान से प्रभावित होकर स्वयं जुड़ गए। आज वह सतना के पत्रिका चेंजमेकर अभियान के सबसे बड़े चेंजमेकर है। शहर के जनता का उनको अच्छा खासा प्यार मिल रहा है। देखते ही देखते महज कुछ दिन में चेंजमेकर की लिस्ट पर पहले पायदान पर है।
पर्वतारोही रत्नेश पाण्डेय दो महीने पहले सतना आए थे। पत्रिका चेंजमेकर अभियान से प्रभावित होकर स्वयं जुड़ गए। आज वह सतना के पत्रिका चेंजमेकर अभियान के सबसे बड़े चेंजमेकर है। शहर के जनता का उनको अच्छा खासा प्यार मिल रहा है। देखते ही देखते महज कुछ दिन में चेंजमेकर की लिस्ट पर पहले पायदान पर है।
एवरेस्ट फतह से शुरुआत
गौरतलब है कि, शहर के खजुरी टोला निवासी रत्नेश पाण्डेय पिता जयचंद पाण्डेय ने सबसे पहले एवरेस्ट फतह तक अपने अभियान की शुरुआत की थी। पिछली मर्तबा नेपाल में आए भीषण भूकंप की बजह से इन्हे आधी चढ़ाई कर के ही वापस लौटना पड़ा था। लेकिन 6 महीने बाद सतना का लाल एवरेस्ट फतह कर ही लौटा। माउंट एवेरेस्ट की दुर्गंम चढ़ाई को पूरा कर भारत का झंडा लहराएगा।
गौरतलब है कि, शहर के खजुरी टोला निवासी रत्नेश पाण्डेय पिता जयचंद पाण्डेय ने सबसे पहले एवरेस्ट फतह तक अपने अभियान की शुरुआत की थी। पिछली मर्तबा नेपाल में आए भीषण भूकंप की बजह से इन्हे आधी चढ़ाई कर के ही वापस लौटना पड़ा था। लेकिन 6 महीने बाद सतना का लाल एवरेस्ट फतह कर ही लौटा। माउंट एवेरेस्ट की दुर्गंम चढ़ाई को पूरा कर भारत का झंडा लहराएगा।
दुरुह और ईरान में किया भारत का नाम रोशन
दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत को फतह कर पहली बार वहां राष्ट्रगान करने वाले पेशेवर पर्वतारोही विश्व की सबसे दुरुह और ईरान की सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला सबालान में फतह हासिल कर चुके है। अंतरराष्ट्रीय अभियान और युवा शिविर के द्वारा आयोजित यूएआईआई और आईआर ईरान माउंटेनियरिंग फेडरेशन के अभियान के तहत ईरान की सबसे ऊंची पर्वत चोटी दामावंद और सबालान की चढ़ाई की।
दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत को फतह कर पहली बार वहां राष्ट्रगान करने वाले पेशेवर पर्वतारोही विश्व की सबसे दुरुह और ईरान की सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला सबालान में फतह हासिल कर चुके है। अंतरराष्ट्रीय अभियान और युवा शिविर के द्वारा आयोजित यूएआईआई और आईआर ईरान माउंटेनियरिंग फेडरेशन के अभियान के तहत ईरान की सबसे ऊंची पर्वत चोटी दामावंद और सबालान की चढ़ाई की।